जम्मू और कश्मीर के करेवा (हाइलैंड्स) में उगाये जाने वाले कश्मीर केसर (Kashmir saffron) को भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री द्वारा भौगोलिक संकेत (Geographical Indication: GI) टैग दिया गया है। यह मसाला कश्मीर के कुछ अन्य क्षेत्रों में भी उगाया जाता है, जिनमें पुलवामा, बडगाम, किश्तवाड़ और श्रीनगर शामिल हैं।
जीआई टैग हेतु आवेदन जम्मू और कश्मीर कृषि निदेशालय द्वारा दायर की गई थी जबकि शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी और केसर रिसर्च स्टेशन, डूसू (पंपोर) ने इसमें मदद की थी ।
कश्मीर केसर एक बहुत ही कीमती और महंगा उत्पाद है। जहां ईरान केसर का सबसे बड़ा उत्पादक है वही भारत एक करीबी प्रतिस्पर्धी है। जीआई टैग के साथ, कश्मीर केसर निर्यात बाजार में अधिक प्रमुखता हासिल करेगा।
कश्मीर केसर एक मसाले के रूप में विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। यह स्वास्थ्य को जीवंतता प्रदान करता है और सौंदर्य प्रसाधनों में और औषधीय प्रयोजनों के लिए इसका उपयोग किया जाता है। यह पारंपरिक कश्मीरी व्यंजनों से जुड़ा हुआ है और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। कश्मीर केसर की अनूठी विशेषताएं इसके लंबे और मोटे धब्बे, प्राकृतिक गहरे-लाल रंग, उच्च सुगंध, कड़वा स्वाद, रासायनिक मुक्त प्रसंस्करण हैं।
यह दुनिया का एकमात्र ऐसा केसर है जो 1,600 मीटर से 1,800 मीटर ऊंचाई ( समुद्र तल से ऊपर) परउगाया जाता है।
कश्मीर में उपलब्ध केसर तीन प्रकार का होता है – लाछा केसर ’ ‘मोंगरा केसर’ और गुच्छी केसर।