विश्‍व कपास दिवस पर 5 अफ्रीकी देशों के लिए प्रौद्योगिकी सहायता कार्यक्रम की घोषणा

केन्‍द्रीय कपड़ा मंत्री श्रीमती स्‍मृति ज़ूबिन इरानी ने जिनेवा में विश्‍व कपास दिवस के सत्र को संबोधित करते हुए अफ्रीका के लिए कपास प्रौद्योगिकी सहायता कार्यक्रम (टीएपी) के दूसरे चरण की घोषणा की। दूसरा चरण पांच वर्षों का होगा। कार्यक्रम के कवरेज को विस्‍तार दिया जाएगा और इसमें पांच अन्‍य देशों-माली, घाना, टोगो, जाम्बिया और तन्‍जानिया को शामिल किया जाएगा।

कपास प्रौद्योगिकी सहायता कार्यक्रम

कपास प्रौद्योगिकी सहायता कार्यक्रम (टीएपी) में शामिल होने वाले देशों की संख्‍या 11 हो गई हैं। इनमें सी-4 (बेनिन, बुर्किना फासो, चाड और माली) भी शामिल हैं।

भारत ने 2012 से 2018 तक कपास प्रौद्योगिकी सहायता कार्यक्रम (टीएपी) संचालित किया था। इसमें छह अफ्रीकी देश (बेनिन, बुर्किना फासो, चाड, मालावी, नाइजीरिया और युगांडा) शामिल थे।

भारत ने अफ्रीका के किसानों, वैज्ञानिक, सरकारी अधिकारियों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया है। इस प्रकार कपास के कृषि और वस्‍त्र आयामों को भी मजबूत बनाया गया है। कपास संबंधी अवसंरचनाओं का भी निर्माण किया गया है।

भारत विश्‍व के सबसे बड़े कपास उत्‍पादक और उपभोक्‍ता देशों में शामिल है। भारत विश्‍व कपास दिवस को समर्थन प्रदान करता है। यह कपास के महत्‍व की पहचान करने का अवसर है।

विश्व कपास दिवस

विश्व व्यापार संगठन-डब्ल्यूटीओ 7 अक्टूबर 2019 को जिनेवा में प्रथम विश्व कपास दिवस समारोह का आयोजन किया ।

विश्व में सबसे अधिक कपास उत्पादक देशों बेनिन, बुर्कीना फासो, चाड और माली ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को विश्व कपास दिवस को सरकारी मान्यता दिए जाने का अनुरोध किया था और इसी अनुरोध के मद्देनजर जिनेवा में समारोह का आयोजन किया गया ।

विश्व कपास दिवस के आयोजन से 30 से अधिक देशों को इसके उत्पादकों, संबंधित वस्तुओं के उद्यमियों और व्यापारियों को लाभ पहुंचेगा।

समारोह के दौरान कपास प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया , जिसमें टेक्सप्रोसिल, हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद और राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान अपने स्टॉल लगाए गए । प्रदर्शनी में राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती के स्मरण में रूई से बनी महात्मा गांधी की एक मूर्ति भी रखी गयी।

श्रीमती इरानी ने कहा कि विश्‍व कपास दिवस के लिए महात्‍मा गांधी को आइकन के रूप में चुना जाना सर्वथा उपयुक्‍त है।

भारत के राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार विजेता बुनकर पिट्टा रामुलु चरखे पर अपनी कला का प्रदर्शन किया ।

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