- 5 दिसंबर, 2018 को विश्व मृदा दिवस आयोजित किया गया।
- थीमः इस वर्ष विश्व मृदा दिवस की थीम हैः ‘मृदा प्रदूषण का समाधान बनें’ (Be the Solution to Soil Pollution)।
- इस दिवस का मुख्य उद्देश्य स्वस्थ मृदा की महत्ता पर ध्यान आकर्षित करना तथा मृदा संसाधनों के सतत प्रबंधन की वकालत करना है।
- संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (यूएनएफएओ) के अनुसार वायुमंडल की तुलना में मृदा तीन गुणा अधिक कार्बन धारण कर सकती है और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकती है।
- यूएनएफएओ के मुताबिक पूरे विश्व में 815 मिलियन लोग खाद्य असुरक्षा का तथा 2 अरब लोग पोषण असुरक्षा का सामना कर रहे हैं परंतु इसे मृदा द्वारा शमन किया जा सकता है। 95 प्रतिशत भोजन मृदा से आती है एवं 33 प्रतिशत वैश्विक मृदा पहले ही डीग्रेड हो चुकी है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (एसएचसी) को देश में पहली बार समग्र रूप से लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत सभी किसानों को ये कार्ड मुहैया कराए जा रहे हैं, ताकि फसल उत्पादन के लिए सही मात्रा में पोषक तत्वों का इस्तेमाल और मृदा स्वास्थ्य में सुधार हो सके।
- एसएचसी योजना के तहत सिंचित क्षेत्र में ढाई हेक्टेयर और असिंचित क्षेत्रों में 10 हेक्टेयर जमीन से मिट्टी के नमूने लिए जाते हैं। इसके लिए मिट्टी की जांच के 12 पैमाने हैं। इनमें प्राथमिक पोषक, दूसरे स्तर के पोषक, सूक्ष्म पोषक और अन्य तरह के पोषक शामिल हैं।
- पहला चक्र 2015 से 2017 तक चलाया गया, इसके तहत 2.53 करोड़ मिट्टी के नमूनों की जांच हुई तथा किसानों को 10.73 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए। दूसरा चक्र (2017-19) पहली मई, 2017 से शुरू हुआ। इस दौरान 2.73 करोड़ मिट्टी के नमूनों का लक्ष्य रखा गया। कुल 1.98 करोड़ नमूनों की जांच हुई और किसानों को 6.73 करोड़ कार्ड बांटे गए। इसका लक्ष्य 12.04 करोड़ किसानों को इसके दायरे में लाने का है।
- मिट्टी के नमूनों की जांच और मृदा स्वास्थ्य कार्डों के वितरण में तेजी लाने के लिए मृदा जांच अवसंरचना को उन्नत बनाया गया है। राज्यों के लिए 9263 मृदा जांच प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के संबंध में 1562 ग्रामीण स्तरीय मृदा जांच परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है।