- 26 अगस्त, 2018 को विश्व संस्कृत मनाया गया।
- संस्कृत दिवस प्रतिवर्ष श्रावण पूर्णिमा को आयोजित किया जाता है।
- इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य ऐसे समय में इसका पुनरूद्धार एवं संवर्द्धन है जब इसका पतन हो रहा है।
- पहला संस्कृत दिवस वर्ष 1969 में मनाया गया था।
- संस्कृत भाषा, जिसे आर्य भाषा भी कहते हैं, की विरासत अति समृद्ध है। उत्तर भारत की भाषाओं की जननी रही है संस्कृत।
- इस भाषा ने यूरोपीय लोगाें को काफी आकर्षित किया। कलकता सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होकर 1783 में भारत आए सर विलियम जोंस ने कालिदास की अभिज्ञानशाकुंतलम एवं ट्टतुसंहार का अंग्रेजी में अनुवाद किया। जोंस ने मनुस्मृति का भी अंग्रेजी में अनुवाद किया।
- 1785 में चार्ल्स विल्किंस ने भगवत् गीता का अंग्रेजी में अनुवाद किया।
- जर्मन विद्वान मैक्समूलर ने हितोपदेश का जर्मन भाषा में अनुवाद किया।
- वर्ष 2005 में संस्कृत को शास्त्रीय यानी क्लासिकल भाषा का दर्जा भी प्रदान किया गया।
- आज संस्कृत के बोलने वालों की संख्या 1 प्रतिशत से भी कम है। अब यह पूजा एवं संस्कारों में मन्त्रों तक सीमित रह गई है।
- हालांकि संस्कृत आज चंद साहित्य तथा स्कूल के वैकल्पिक विषय तक सिमट रह गई है तथा इसके बोलने वाले भी कम ही हैं। लेकिन आज भी कनाटक में एक ऐसा गांव है जहां के सभी लोग संस्कृत बोलने व आपसी संचार संस्कृत में करने की परंपरा बनाए रखे हुए हैं। यह गांव है शिमोगा में मट्टुर जो तुंगा नदी के किनारे बसा है। इस गांव के दुकानदार से लेकर सड़कों पर ठेला लगाने वाले तक संस्कृत में वार्तालाप करते हैं। आश्चर्य यह भी है कि इस गांव के प्रत्येक परिवार से लगभग एक आईटी प्रोफेसनल्स है।