स्नेकबाइट इनवेनोमिंग के खिलाफ विश्व स्वास्थ्य संगठन की रणनीति

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जेनेवा में आयाजित 72वें विश्व स्वास्थ्य महासभा में सांपों के काटने से होने वाली विकलांगता व मृत्यु, जिसे ‘स्नेकबाइट इनवेनोमिंग’ (Snakebite envenoming) को रोकने व नियंत्रण के लिए रणनीति को स्वीकार किया है।
  • इस रणनीति के तहत वर्ष 2030 तक स्नेकबाइट इनवेनोमिंग की संख्या में 50 प्रतिशत कमी करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इस रणनीति में निम्नलिखित को शामिल किया गया हैः
    • समुदायों का सश्क्तीकरण एवं जोड़ना
    • सुरक्षित एवं प्रभावी इलाज
    • स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ़ करना
    • भागीदारी, समन्वयन एवं संसाधनों में बढ़ोतरी
    • विभिन्न देशों वर्द्धित प्रत्युत्तर।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार उपर्युक्त रणनीतियों के क्यिान्वयन में वर्ष 2030 तक 82.36 मिलियन डॉलर की लागत आएगी।

क्या होती है स्नेकबाइट इनवेनोमिंग?

  • स्नेकबाइट इनवेनोमिंग एक घातक बीमारी है जो सांपों के काटने से निकले विभिन्न जहरों से होती है।
  • यह एक उष्णकटिबंधीय उपेक्षित बीमारी (neglected tropical disease: NTD) है जो प्रत्येक महादेश में व्यापक तौर पर विकलांगता एवं अकाल मृत्यु का कारण बनती है।
  • इस बीमारी की आर्थिक लागत काफी अधिक होती है क्योंकि यह न केवल पीडि़त को प्रभावित करता है बल्कि उसका पूरा परिवार इससे झेलता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रतिवर्ष 54 लाख सर्पदंश का शिकार होते हैं जिनमें से 27 लाख इनवेनोमिंग की चपेट में आते हैं।
  • प्रतिवर्ष 81000 से 138000 लोग सर्पदंश से मर जाते हैं और इससे तीन गुणा अधिक लोग सर्पदंश के कारण विकलांग हो जाते हैं।
  • सर्पदंश के सर्वाधिक शिकार श्रमिक एवं बच्चे होते हैं। कम बॉडी मास के कारण बच्चों पर सर्पदंश का अधिक प्रभाव पड़ता है।
  • वर्तमान में विश्व में सांप की 3000 से अधिक प्रजातियां हैं जिनमें से 250 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिकित्सीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना है क्योंकि इनके विष से मानव को नुकसान होता है।
Image credit: WHO

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