- ‘इंटर-एजेंसी कोऑर्डिनेशन ग्रुप ऑन एंटीमाइक्रोबायल रेसिस्टैंस’ (Interagency Coordination Group on Antimicrobial Resistance :IACG) ने 29 अप्रैल को एंटीमाइक्रोबायल रेसिस्टैंस पर अपनी रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र संघ को सौप दी। रिपोर्ट का शीर्षक है ‘नो टाइम टू वेट-सेक्युरिंग द फ्युचर फ्रॉम ड्रग रेसिस्टैंस’ (No Time to Wait: Securing The Future From Drug Resistant Infections)। उपर्युक्त समूह का गठन 2016 में किया गया था।
- रिपोर्ट में एंटीमाइक्रोबायल रेसिस्टैंस (antimicrobial resistance: AMR) के खतरों के प्रति चेतावनी जारी की गई है। इसके मुताबिक समय के साथ-साथ कई आम दवाइयां खतरनाक संक्रमण से लड़ने में अपनी क्षमताएं खो रही हैं, इससे वैश्विक खतरा भी बढ़ता जा रहा है।
- रिपोर्ट के अनुसार पहले से ही ड्रग रेसिस्टैंस संक्रमण से प्रतिवर्ष 700,000 लोगों की मौत हो रही है जिनमें 230,000 मौत औषधि प्रतिरोधक टीबी के कारण है।
- मानव, मवेशी एवं कृषि में एंटीबायोटिक्स का ओवरडोज इस संकट को और बढ़ा रहा है।
- रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि अभी सुधारात्मक उपाय नहीं किए जाते हैं तो ड्रग रेसिस्टैंस संक्रमण से वर्ष 2050 तक प्रतिवर्ष 10 मिलियन (एक करोड़) लोगों की मौत हो रही होगी और आर्थिक विकास मंदी की चपेट में आ जाएगा जिससे वर्ष 2008 का आर्थिक संकट फिर से दस्तक दे सकता है।
- सर्वाधिक बुरी स्थिति में वर्ष 2050 तक विश्व 3.8 प्रतिशत वार्षिक जीडीपी खो देगा और 24 मिलियन लेाग 2030 तक गरीबी रेखा के नीचे आ जाएंगे।
- ड्रग रेसिस्टैंस संक्रमण से निपटने के लिए रिपोर्ट में कई सुझाव दिए गए हैं। इनमें शामिल हैंः एक स्वतंत्र निकाय का गठन, जन जागरूकता फैलाना, राजनीतिक दलों को एक्शन में लाना, चिकित्सीय रूप से महत्वपूर्ण दवाओं का कृषि में इस्तेमाल पर प्रतिबंध, नया एंटीमाइक्राबायल दवाइयों के विकास के लिए औषधि कंपनियों को प्रोत्साहन।