- 70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जिन लोगों को पद्म पुरस्कार देने की घोषणा हुयी, उनमें जिबूती के राष्ट्रपति इस्माइल ओमर गुलेह का नाम भी शामिल है। उन्हें भारत सरकार का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया है।
- जिबूती के राष्ट्रपति का भारत में योगदान पर अधिक जानकारी नहीं उपलब्ध नहीं है परंतु उन्हें इस सम्मान से नवाजे जाने के पीछे भारत की सामरिक नीतिगत सोच की झलक मिलती है।
- दरअसल जिबूती की अफ्रीका में भौगोलिक अवस्थिति सामरिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। हॉर्न आर्फ अफ्रीका में स्थित जिबूती में चीन ने अपने संप्रभू क्षेत्र के बाहर पहला सैन्य अड्डा बनाया है। इससे पहले अमेरिका, फ्रांस, इटली एवं जापान भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। वस्तुतः विश्व में किसी अन्य देश के मुकाबले जिबूती में सर्वाधिक विदेशी सैन्य अड्डा है।
पूर्वी अफ्रीकी तट पर स्थित जिबूती पश्चिमी हिंद महासागर में पायरेसी रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वेज नहर व हिंद महासागर में भी गतिविधियों पर इसका नियंत्रण है। - केवल सामरिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि कई अन्य दृष्टिकोणों से भी जिबूती की भूमिका रही है। यमन में संकट के समय भारतीयों को निकालने में जिबूती को बेस के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
- यही कारण है कि गुलेह को प्रभावित करने के लिए भारत भी प्रयास करता रहा है। इसी क्रम में राष्ट्रपति बनने के पश्चात श्री राम नाथ कोविंद ने अपनी पहली विदेश यात्रा 2017 में जिबूती की। वर्ष 2015 में भारत-अफ्रीका सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गुलेह से अलग द्विपक्षीय वार्ता किया। वर्ष 2018 में जब भारत में इंटरनेशनल सोलर एलायंस का शुभारंभ किया गया, तब गुलेह मुख्य वक्ताओं में शामिल थे।
- ओमर गुलेह के अनुग्रह पर भारत सरकार ने जिबूती में सेंटर फॉर लीडरशिप एवं एंत्रप्रीन्युरशिप केंद्र भी खोला है।