- भारत एवं सिंगापुर का संयुक्त नौसैनिक युद्धाभ्यास 16 मई, 2019 को आरंभ हुआ। इसमें भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस कोलकाता और शक्ति हिस्सा ले रहा है।
- सिम्बेक्स-19 के हार्बर चरण का संचालन 16 मई से 18 मई 2019 तक हुआ, जिसमें कई विनियोजन सम्मेलन, सिमुलेटर आधारित युद्ध प्रशिक्षण/वार गेमिंग, आरएसएन नौसेना के विख्यात व्यक्तियों से औपचारिक मुलाकात, क्रीड़ा स्पर्धाएं तथा डेक रिसेप्शन ऑन बोर्ड कोलकाता के रूप में शामिल हैं। सिम्बेक्स-19 का सामुद्रिक चरण दक्षिण चीन सागर में 19 मई से 22 तक निर्धारित है, जिसमें हवाई/सतह लक्ष्यों पर गोलीबारी, एडवांस्ड एरियल ट्रैकिंग, समन्वित लक्ष्य निर्धारण अभ्यास एवं हवाई/सतह परिदृश्यों पर सामरिक अभ्यास शामिल होंगे।
- 1993 में अपनी शुरुआत से सिम्बेक्स सुनियोजित और संचालनगत जटिलता के साथ आगे बढ़ा है। इस वार्षिक द्विपक्षीय अभ्यास की शुरुआत पारंपरिक पनडुब्बी रोधी अभ्यासों से हुई जो एडवांस्ड एयर डिफेंस ऑपरेशन्स, एंटी हवाई/सतह लक्ष्यों पर अभ्यास गोलीबारी, सामरिक अभ्यास आदि तक पहुंच चुकी है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान सिम्बेक्स दोनों सेनाओं के बीच सामुद्रिक सहयोग बढ़ाने तथा दोनों देशों के बीच मित्रता के रिश्तों को मजबूत करने में राष्ट्र की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने में खरा उतरा है। सिम्बेक्स-19 के लिए भारतीय नौसेना ने आपसी विश्वास को मजबूत बनाने, अंत:पारस्परिकता को बढ़ाने तथा दोनों नौसेनाओं के बीच समान सामुद्रिक चिंताओं के समाधान में अधिक समन्वय के निर्माण करने के उद्देश्य से अपने सबसे बेहतरीन एसिट को तैनात किया है।
- भारतीय नौसेना के जहाज कोलकाता और शक्ति के अतिरिक्त लंबी दूरी के सामुद्रिक निगरानी विमान भी सिम्बेक्स-19 में हिस्सा लेंगे। सिंगापुर के पक्ष का प्रतिनिधित्व आरएसएन जहाज इस्टीड फास्ट और वेलियेंट, सामुद्रिक निगरानी विमान फोकर-50 (एफ-50) और एफ-16 लड़ाकू विमान द्वारा किया जाएगा।
- सिम्बेक्स-19 में भारतीय नौसना के जहाज कोलकाता और शक्ति की दक्षिण एवं पूर्व चीन सागर में दो महीने की तैनाती भी शामिल है, जिसका उद्देश्य पूर्व एवं दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ संवर्द्धित सांस्कृतिक, आर्थिक एवं सामुद्रिक अंत:संपर्कों के जरिए मित्रता सेतु को विस्तारित करना है। पीएलए (नौसेना) 70वें वार्षिक समारोहों तथा एडीएमएम-प्लस एमएसएफटीएक्स के एक हिस्से के रूप में चीन के किंगडाओ में अंतरराष्ट्रीय बेडा समीक्षा (आईएफआर) में भारतीय नौसेना जहाजों की सहभागिता भारत सरकार की ‘पूर्व की ओर देखो’ नीति तथा भारतीय नौसेना के ‘समुद्रों के जरिए राष्ट्रों को एकजुट करने’ के प्रयासों को भी प्रदर्शित करती है।