- विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum-WEF) द्वारा 18 दिसंबर, 2018 को जारी ‘ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2018’ में भारत को 108वीं रैंकिंग प्राप्त हुयी है। वर्ष 2017 में भी भारत की रैंकिंग इतनी ही थी।
- इस वर्ष भारत का जेंडर गैप स्कोर 0.665 है अर्थात भारत 66.5 प्रतिशत लैंगिक अंतराल को पाटने में सफल रहा है।
- सूचकांक के मुताबिक समान कार्य के लिए मजदूरी गुणवत्ता के मामले में भारत में सुधार हुआ है जहां भारत की रैंकिंग 72वीं है तथा तृतीयक शिक्षा लैंगिक अंतराल को भी पाटने में सफल रहा है। भारत की सर्वोच्च रैंकिंग राजनीतिक सशक्तकीरण में है जहां उसे 19वीं रैंकिंग प्राप्त हुयी है।
- हालांकि आर्थिक समानता एवं भागीदारी उप-सूचकांक में विश्व के 149 देशों में भारत को 142वां स्थान प्राप्त हुआ है।
- विश्व आर्थिक मंच चार मुख्य मानकों पर जेंडर गैप का मापन करता है। ये मानकें हैंः आर्थिक भागीदारी व अवसर, राजनीतिक सशक्तीकरण, शैक्षणिक लब्धि तथा स्वास्थ्य व उत्तरजीविता।
- स्वास्थ्य व उत्तरजीविता के मामले में भारत की रैंकिंग तीसरा सबसे न्यूनतम है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व ने 68 प्रतिशत लैंगिक अंतराल को पाटने में सफल रहा है परंतु संपूर्ण लैंगिक अंतराल को पाटने में 108 वर्ष लगेंगे जबकि कार्य स्थल पर समानता लाने में 202 वर्ष लगेंगे।
- ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में सर्वोच्च रैंकिंग आइसलैंड को प्राप्त हुयी है जहां 85.8 प्रतिशत लैंगिक अंतराल को समाप्त कर दिया गया है। दूसरे स्थान पर नॉर्वे है जहां 83.5 प्रतिशत लैंगिक अंतराल को समाप्त कर दिया गया है। तीसरे व चौथे स्थान पर क्रमशः स्वीडेन व फिनलैंड है।
- इसके विपरीत सीरिया, इराक, पाकिस्तान व यमन सर्वाधिक लैंगिक अंतराल है।
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच द्वारा पहली बार 2006 में जारी किया गया था। - विभिन्न मानकों में भारत की रैंकिंग
- ओवरऑल रैंकिंग 108
- आर्थिक भागदारी 142
- शैक्षिक लब्धि 114
- स्वास्थ्य व उत्तरजीविता 147
- राजनीतिक सशक्तिकरण 19