- भारत एक नए सदस्य के रूप में ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (एएमआरआरएंडडी) हब (Global Antimicrobial Resistance (AMR) Research and Development (R&D) में शामिल हो गया है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने 12 सितम्बर 2019 को नई दिल्ली में यह घोषणा की।
- इससे एएमआरआरएंडडी में चुनौतियों का सामना करने और 16 देशों, यूरोपीय आयोग, 2 परोपकारी प्रतिष्ठानों और 4 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (पर्यवेक्षकों के रूप में) में सहयोग और समन्वय में सुधार लाने के लिए वैश्विक भागीदारी का विस्तार हुआ है।
ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (Global AMR R&D Hub)
- जी-20 नेताओं द्वारा 2017 में किए गए आह्वान के कारण विश्व स्वास्थ्य एसेंबली के 71वें सत्र से इतर इस केंद्र की शुरूआत मई, 2018 में की गई थी।
- ग्लोबल एएमआरआरएंडडी हब का परिचालन बर्लिन स्थित सचिवालय से हो रहा है। वर्तमान में इसे जर्मन संघीय शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय (बीएमबीएफ) और संघीय स्वास्थ्य मंत्रालय (बीएमजी) से प्राप्त अनुदान के माध्यम से वित्तपोषित किया जा रहा है।
भारत और ग्लोबल एएमआरआरएंडडी हब
- इस वर्ष से भारत इसका सदस्य होगा।
- ग्लोबल एएमआरआरएंडडी हब की भागीदारी से भारत सभी भागीदारों देशों की मौजूदा क्षमताओं और संसाधनों और सामूहिक रूप से ने अनुसंधान और विकास हस्तक्षेपों के बारे में ध्यान केंद्रित करते हुए भरपूर लाभ उठाएगा और दवा प्रतिरोधी संक्रमणों से निपटने में सक्षम होगा। एएमआर दवा के प्रभाव का प्रतिरोध करने के लिए एक माइक्रोब की क्षमता है। इससे माइक्रोब का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। आज एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध का उद्भव और प्रसार पूरे विश्व में बिना किसी बाधा के व्याप्त है।
- एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance) के महत्वपूर्ण और परस्पर आश्रित मानव, पशु और पर्यावरणीय आयामों को देखते हुए भारत एक स्वास्थ्य पहुंच के माध्यम से एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के मुद्दों का पता लगाना उचित मानता है। इसके लिए सभी हितधारकों की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और सहयोग अपेक्षित है।