वैश्विक भूख सूचकांक 2019 में विश्व के 117 देशों में भारत 102वें स्थान पर है। वर्ष 2018 में भारत 103वें स्थान पर था पर उस समय 119 देशों की रैंकिंग जारी की गई थी। दक्षिण एशियाई देशों में भारत की रैंकिंग सबसे खराब है। यहां तक कि पाकिस्तान जो कभी भारत से पीछे थे, वर्ष के सूचकांक में 94वें स्थान पर है।
भारत के जीएचआई स्कोर में भी गिरावट आई है। वर्ष 2010 में भारत का स्कोर 32 था जो कम होकर 30.3 हो गया है।
विगत दो दशकों में भारत की रैंकिंग में काफी गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2000 में भारत 83वें, वर्ष 2005 में 95वें, वर्ष 2010 में 95वें, वर्ष 2015 में 93वें स्थान पर था।
भारत की खराब रैंकिंग की वजह पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अल्प वजन यानी ऊंचाई की तुलना में कम वजन (wasting) का होना है। अल्प वजनी बच्चों की प्रतिशतता वर्ष 2008-12 के 16.5 प्रतिशत से बढ़कर 2014-18 में 20.8 प्रतिशत हो गया।
यह सूचकांक बच्चों में कुपोषण का स्तर, पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अल्प वजन स्तर तथा पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर।
सूचकांक में विभिन्न देशों को 0 से 100 अंक प्रदान किया जाता है और इसी आधार पर रैंकिंग प्रदान की जाती है।
यह सूचकांक कंसर्न वर्ल्डवाइड तथा जर्मनी का संगठन वेल्थहंगरहाइल्फ (welthungerhilfe) द्वारा तैयार किया गया है।
सूचकांक में सर्वोच्च रैंकिंग बेलारूस को प्राप्त हुयी है। दूसरे व तीसरे स्थान पर क्रमशः बोस्निया व बुल्गारिया है। वहीं 117वें स्थान पर मध्य अफ्रीकी गणराज्य है।