विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त, 2020 को पूरे विश्व में आयोजित किया जा रहा है। इसे ‘विश्व के मूलवासियों का अंतरराष्ट्रीय दिवस’ (International Day of the World’s Indigenous Peoples) के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिवस का मुख्य उद्देश्य विश्व के मूलवासी आबादी के अधिकारों का संवर्द्धन व सुरक्षा है।
थीम
इस वर्ष यह दिवस ‘कोविड-19 और मूलवासियों की सहन क्षमता’ (COVID-19 and indigenous peoples resilience) थीम के साथ मनाया जा रहा है।
विश्व आदिवासी दिवस
आदिवासी/मूलवासी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्यसमूह की 9 अगस्त, 1982 को जेनेवा में हुयी बैठक के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 दिसंबर, 1994 को प्रस्ताव संख्या 49/214 के माध्यम से प्रतिवर्ष 9 अगस्त को मूलवासियों का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने का निर्णय लिया था।
अपने समकक्ष 66% गैर-मूलवासी की तुलना में 86% से अधिक मूलवासी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार विश्व के 90 देशों में 370 मिलियन आदिवासी/मूल वासी निवास करते हैं।
ये विश्व की कुल आबादी का महज 5 प्रतिशत हैं परंतु वैश्विक गरीबी में 15 प्रतिशत का योगदान करते हैं जो इनकी चिंताजनक स्थिति की ओर इंगित करता है।
ये लोग 7000 भाषाओं तथा 5000 विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
मूलवासी लोगों को उनके गैर-मूलवासी समकक्षों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक गरीबी में रहने की संभावना है।
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