- विश्व के सर्वाधिक धनी सात देशों के समूह जी-7 (G-7) का 45वां वार्षिक सम्मेलन 24-26 अगस्त, 2019 को फ्रांस के बियारिट्ज, एक्वितेनी में आयोजित हुआ।
- सम्मेलन का आयोजन फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैन्युल मैक्रोन की अध्यक्षता में हुआ।
- सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुयी जिनमें ईरान का मुद्दा व आमेजन जंगल में लगी आग का मुद्दा का विशेष रूप से छाया रहा। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने ईरान एवं अमेरिका को साथ लाने में मदद करने की घोषणा की।
- जी-7 के सदस्यों ने आमेजन जंगल की आग पर काबू पाने के लिए 20 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की। परंतु ब्राजील ने इस आर्थिक प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि इस धन का इस्तेमाल यूरोप के पुनर्वनीकरण में किया जाए।
- भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मेलन में विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में हिस्सा लिया। उन्होंने सम्मेलन के दौरान विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं भी की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ द्विपक्षीय वार्ता के पश्चात जारी प्रेस वार्ता में कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बताया गया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए किसी भी गुंजाइश को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया । उन्होंने कहा कि दोनों देश सभी आपसी मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं और उन्हें हल कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी, फ्रांस के बियारित्ज में जी-सात शिखर सम्मेलन से इतर अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ वार्ता के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। अमरीकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने भी कहा कि कश्मीर का मुद्दा एक द्विपक्षीय मामला है और दोनों देशों को इसे आपस में मिलकर सुलझाना चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि दोनों देश ऐसा कर सकते हैं। बातचीत के बारे में विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और डॉनाल्ड ट्रंप के बीच कश्मीर पर कोई बात नहीं हुई। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के साथ भी कश्मीर पर बात नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुतरेस के साथ हुई बातचीत मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित रही।
जी-7 के बारे में
- जी-7 (G-7) से तात्पर्य है सात देशों का समूह जो कि विश्व के सर्वाधिक औद्योगिकृत देश हैं। वर्ष 2014 तक यह जी-8 के नाम से जाना जाता था परंतु रूस द्वारा यूक्रेन से क्रीमिया का अधिग्रहण के पश्चात रूस को इस संगठन से निकाल दिया गया।
- वर्ष 1975 में यूके, यूएसए, पश्चिमी जर्मनी, फ्रांस, इटली व जापान ने वैश्विक आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए इस समूह का गठन किया। वर्ष 1976 में कनाडा तथा 1998 में रूस इस समूह का सदस्य बना।
- अब इस समूह के सदस्य देश हैंः यूके, यूएसए, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान व कनाडा।