केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बागवानी के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए 31 मई को बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम (Horticulture Cluster Development Programme: CDP) का शुभारंभ किया।
- प्रायोगिक चरण में कार्यक्रम के लिए चुने गए कुल 53 समूहों में से 12 बागवानी समूहों में कार्यक्रम लागू किया जाएगा।
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) द्वारा कार्यान्वित केंद्रीय कार्यक्रम सीडीपी का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए पहचान किए गए बागवानी समूहों का विकास करना और विकसित बनाना है।
- यह कार्यक्रम भारतीय बागवानी क्षेत्र से संबंधित सभी प्रमुख मुद्दों पर ध्यान देगा जिसमें पूर्व-उत्पादन, उत्पादन, कटाई के बाद प्रबंधन, रसद, विपणन और ब्रांडिंग शामिल हैं।
- इस कार्यक्रम को भौगोलिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने और बागवानी समूहों के एकीकृत और बाजार की अगुवाई वाले विकास को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
- कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (एमओएएंडएफडब्ल्यू) ने 53 बागवानी समूहों की पहचान की है, जिनमें से 12 को कार्यक्रम के पायलट लॉन्च के लिए चुना गया है।
- पायलट प्रोजेक्ट से मिली सीख के आधार पर सभी चिन्हित समूहों को कवर करने के लिए कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा।
- प्रायोगिक चरण के क्लस्टरों में सेब के लिए शोपियां (जम्मू-कश्मीर) और किन्नौर (हिमाचल प्रदेश) शामिल हैं। इसके तहत आम के लिए लखनऊ (उत्तर प्रदेश), कच्छ (गुजरात) और महबूबनगर (तेलंगाना), केले के लिए अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) और थेनी (तमिलनाडु), अंगूर के लिए नासिक (महाराष्ट्र), अनानास के लिए सिपाहीजला (त्रिपुरा), अनार के लिए सोलापुर (महाराष्ट्र) और चित्रदुर्ग (कर्नाटक) तथा हल्दी के लिए पश्चिम जयंतिया हिल्स (मेघालय) शामिल हैं।
- ये क्लस्टर क्लस्टर विकास एजेंसियों (सीडीए) के माध्यम से कार्यान्वित किए जाएंगे जिन्हें संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार की सिफारिशों पर नियुक्त किया जाता है।