भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत स्वायत्त संस्थान, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस क्लस्टर के कई तारों का अध्ययन किया और ओमेगा सेंटौरी के धातु-समृद्ध नमूने से उन्होंने हीलियम -संवर्धित ठंढे चमकीले तारों की खोज की।
यह कार्य, इस क्लस्टर के लिए किए गए स्पेक्ट्रोस्कोपिक सर्वेक्षण का परिणाम है, जो पहली बार इन तारों की हीलियम- प्रचुरता को निर्धारित करता है। इस अध्ययन को ‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है।
ग्लोबुलर क्लस्टर (Globular clusters)
ग्लोबुलर क्लस्टर (Globular clusters) एक तारा प्रणाली है, जिसमें एक ही गैसीय बादल से बने लाखों तारे होते हैं।
इसलिए, आम तौर पर, इससे बनने वाले तारों में मौलिक तत्वों की रासायनिक संरचना एक समान होती है। लेकिन, ऐसे क्लस्टर हैं जो इस नियम से अलग हैं।
इनमें एक है – ओमेगा सेंटौरी (Omega Centauri), जो हमारी आकाशगंगा में सबसे चमकदार और सबसे बड़ा ग्लोबुलर (गोलाकार) क्लस्टर है।
ओमेगा सेंटौरी के विभिन्न तारों में एक ही धातु-सामग्री नहीं होती है। यह एक मानदंड है, जो इसकी आयु को इंगित करता है, लेकिन इसका रेंज विस्तृत है।
तत्व प्रचुरता की विषमता के कारण, निर्माण परिदृश्य सामान्य से अलग हो सकता है। आम तौर पर, प्रचुरता इस धारणा का उपयोग करके प्राप्त की जाती है कि हीलियम, हाइड्रोजन- प्रचुरता का दसवां हिस्सा है।