सिस्टम फॉर एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च यानी ‘सफर’ के पूर्वानुमान के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते तापमान के साथ आने वाले दिनों में दिल्ली में जमीन आधारित ओजोन या सरफेस ओजोन प्रदूषण के भी बढ़ने की संभावना है।
दिल्ली में 28 मई, 2019 को वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी ‘एक्यूआई’ मॉडरेट श्रेणी में था और इसके बिगड़ने की संभावना है।
सरफेस ओजोन प्रदूषण
- ओजोन लाभकारी एवं हानिकारक दोनों होता है। स्ट्रेटोस्फेरिक ओजोन को ‘अच्छा’ ओजोन माना जाता है जो कि ऊपरी वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से पैदा होता है जो सूर्य के हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाता है।
- दूसरी ओर सरफेस ओजोन, जिसे जमीन आधारित ओजोन या ट्रोपोस्फेरिक ओजोन भी कहते हैं। यह वायु में प्रत्यक्ष तौर पर उत्सर्जित नहीं होता है वरन् नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOX) एवं वोलेटाइल ऑर्गेनिक कम्पाउंड (VOC) से रासायनिक प्रतिक्रिया से उत्पन्न होता है। यह तब उत्पन्न होता है कार, विद्युत संयंत्र, औद्योगिक ब्यॉलर्स, रिफायनरी, केमिकल प्लांट इत्यादि से उत्सर्जित प्रदूषक जब सूर्य प्रकाश की उपस्थिति प्रतिक्रिया करता है।
- सरफेस ओजोन की वजह से कफ, सांस लेने में परेशानी, गले में दर्द इत्यादि जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
क्या होता है सफर
- सफर से तात्पर्य है सिस्टम फॉर एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च’ (System of Air Quality and Weather Forecasting and Research-SAFAR)। यह केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रलय की एक पहल है जो देश के बड़े महानगरों में रियल टाइम आधार पर किसी जगह की वायु गुणवत्ता बताता है। यह एक से तीन पूर्व में सूचना दे सकता है।
- इसका विकास भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे द्वारा भारतीय मौसम विज्ञान विभाग तथा नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकास्टिंग के सहयोग से किया गया है।
- नई प्रणाली वास्तविक समय में यूवी-इंडेक्स, पीएम1, मरक्यूरी एवं ब्लैक कार्बन पर भी नजर रखती है। सफर प्रणाली से कृषि, उड्डयन, बुनियादी ढांचा, आपदा प्रबंधन कौशल, पर्यटन एवं अन्य कई क्षेत्रों की लागत में कमी आएगी जिन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वायु की गुणवत्ता और मौसम का प्रभाव पड़ता है।
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई)
- प्रधानमंत्री ने अप्रैल 2015 में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index-AQI) का शुभारम्भ किया जो प्रारम्भ में 14 राज्यों को वायु गुणवत्ता सूचना प्रसारित करती है।
- एक्यूआई के पास वायु गुणवत्ता के छह वर्ग है जैसे अच्छा, संतोषजनक, मामूली प्रदूषित, निम्न, बेहद खराब तथा विशिष्ट रंग योजना के साथ सघन। इनमें से प्रत्येक वर्ग संभावित स्वास्थ्य प्रभावों के साथ जुड़ा है।
- एक्यूआई आठ प्रदूषकों (पीएम10, पीएम2.5, एनओ2, एसओ2, सीओ, ओ3, एनएच3 एवं पीबी) पर विचार करता है जिसके लिए (24 घंटे की औसत अवधि तक) राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक अनुशंसित हैं।
राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (एनएएक्यूएस)
- राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (National Ambient Air Quality Standards-NAAQS) 12 प्रदूषकों से निर्मित होता है जिनमें से 3 प्रदूषक-जिनके नाम पीएम10, एसओ2, एनओ2 हैं, की निगरानी केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा विभिन्न राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) के सहयोग से 254 नगरों/शहरों में 612 स्थानों पर की जाती है।