लद्दाख में जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान का नया क्षेत्रीय केंद्र स्‍थापित होगा

भारतीय हिमालय क्षेत्र के महत्‍व और इसके पारितंत्र के अध्‍ययन की जरूरत को देखते हुए केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने लद्दाख में जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान ( GB Pant Institute of Himalayan Environment & Development ) के नए क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने संबंधी प्रस्‍ताव को मंजूरी दी।

लद्दाख नया केन्‍द्र शासित प्रदेश बना है। लद्दाख प्रशासन का संबंध संस्‍थान की शुरूआत से ही रहेगा। इस संबंध से दोनों को ही लाभ होगा :- i) संस्‍थान को नए प्रशासन से लाभ होगा (भूमि की उपलब्‍धता, प्रौद्योगिकी पार्क आदि) ii) प्रशासन की प्राथमिकताओं से संस्‍थान सीधे रूप से जुड़ा होगा।

नए क्षेत्रीय केन्‍द्र के निम्‍न उद्देश्‍य है :-

  • शीत मरूस्‍थल समुदायों के लिए आजीविका के वैकल्पिक और नए अवसरों को बढ़ावा देना।
  • शीत मरूस्‍थल निवास स्‍थानों तथा जैव-विविधता का संरक्षण।
  • जल की कमी से संबंधित समस्‍याओं से निपटने के लिए दृष्टिकोण/तरीकों को मजबूत करना।
  • ट्रांस हिमालय क्षेत्र में जलवायु मित्र समुदायों को प्रोत्‍साहन देना।

जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान का मुख्‍यालय कोसी-कटारमल (उत्तराखंड) में है और इसके क्षेत्रीय केंद्र हिमाचल प्रदेश के मोहाल-कुल्लू में, श्रीनगर में, पंगथांग (गंगटोक) में तथा ईटानगर (अरूणाचल प्रदेश) में हैं। यह संस्‍थान पर्यावरण प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण तथा भारतीय हिमालय क्षेत्र में समुदायों के सतत विकास के लिए नीति निर्माण का कार्य करता है।

उल्‍लेखनीय है कि ट्रांस हिमालय क्षेत्र के अधिकांश भाग समुद्र तल से 3,000 एमएसएल पर स्थित है। यहां अत्‍यधिक ठंड पड़ती है और वर्षा नहीं के बराबर होती है। वर्ष के 300 से अधिक दिनों में आसमान खुला रहता है। इसे शीत मरूस्‍थल भी कहते है। यहां की संस्‍कृति में विविधता है और प्रकृति में भी जैव-विविधता मौजूद है। यहां बड़ी-‍बड़ी झीलें हैं। संस्‍थान का नया क्षेत्रीय केन्‍द्र पर्यावरण संरक्षण, आजीविका के साधन और सतत विकास के संबंध में रणनीतियां और कार्यान्‍वयन योजनाओं को विकसित करेगा।

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