जलवायु परिवर्तन पर 24वां सम्मेलन (कोप 24) कैटोवाइस में आयोजित

  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संरचना सन्धिपत्र (सीओपी 24) (Conference of the Parties to the United Nations Framework Convention on Climate Change: COP 24) के पार्टियों के सम्मेलन का 24वां सत्र 2 से 15 दिसम्बर, 2018 तक पोलैंड के काटोवाइस में आयोजित किया गया।
  • यह सम्मेलन एक प्रमुख सम्मेलन था जिसमें पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए दिशा निर्देशों/तौर तरीकों/ नियमों को अंतिम रूप देने, 2018 के सुविधा प्रदान करने वाले तालानोआ संवाद के समापन एवं 2020 से पूर्व के कदमों के कार्यान्वयन एवं महात्वाकांक्षा के सर्वेक्षण सहित तीन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
  • भारत ने पेरिस समझौते को कार्यान्वित करने के अपने वादे को दुहराते हुए सीओपी-24 के दौरान प्रतिबद्धता एवं नेतृत्व और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करने की भावना प्रदर्शित की। भारत विकसित एवं विकासशील देशों के विभिन्न आरम्भिक बिन्दुओं की स्वीकृति; विकासशील देशों के लिए लचीलेपन एवं समानता सहित सिद्धांतों पर विचार और समान लेकिन विभेदकारी जिम्मेदारियों एवं संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी: Common but Differentiated Responsibilities and Respective Capabilities: CBDR-RC) सहित देश के प्रमुख हितों की रक्षा करते हुए सभी वार्ताओं में सकारात्मक एवं रचनात्मक तरीके से संलग्न रहा।
  • राष्ट्रीय रुप से निर्धारित योगदानों पर जारी दिशा-निर्देश एनडीसी (Nationally Determined Contributions) की राष्ट्रीय रूप से निर्धारित प्रकृति को संरक्षित करते है तथा पार्टियों के लिए अनुकूलन सहित विभिन्न प्रकार के योगदानों को प्रस्तुत करते हैं। इसका समग्र दिशा-निर्देश पेरिस समझौते के सिद्धांतों को प्रदर्शित करता है तथा उस नेतृत्व को स्वीकृति देता है जिसे विकसित देशों द्वारा पेरिस समझौते के उद्देश्यों को अर्जित करने के लिए प्रदर्शित किया जाना है।
  • अनुकूलन पर दिशा-निर्देश विकासशील देशों की संयोजन आवश्यकताओं को स्वीकृति देता है और यह सीबीडीआर-आरसी के अति सफल सिद्धांत पर आधारित है। यह विशिष्टिकरण विकासशील देशों की अनुकूलन गतिविधियों को समर्थन देने के प्रावधानों को समावेशित करने के द्वारा संचालनगत किया गया है।
  • भारत एक मजबूत पारदर्शी व्यवस्था के पक्ष में है और अंतिम रूप से संवर्धित पारदर्शिता संरचना विकासशील देशों के लिए लचीलापन प्रदान करते हुए मौजूदा दिशानिर्देशों पर आधारित है।
  • वित्तीय प्रावधानों पर दिशा-निर्देश विकासशील देशों को कार्यान्वयन के माध्यम प्रदान करने में विकसित देशों के उत्तरादायित्व को परिचालित करता है तथा जलवायु वित्त के नए एवं अतिरिक्त तथा जलवायु विशिष्ट होने की आवश्यकता की स्वीकृति देता है। पार्टियों ने 100 बिलियन डॉलर के निम्न मूल्य (फ्लोर) से 2020 के बाद नए सामूहिक वित्तीय लक्ष्यों की स्थापना पर कार्य शुरू करने पर भी सहमति जताई है।
  • प्रौद्योगिकी के लिए सफल संरचना में संरचना के परिचालन की दिशा में अधिक समर्थन की आवश्यकता स्वीकार की गई है तथा यह प्रौद्योगिकी विकास एवं अंतरण के सभी चरणों को व्यापक रूप से कवर करता है।

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