मरुस्थलीकरण पर संयुक्‍त राष्‍ट्र कन्वेंशन का 14वां कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (कॉप-14) ग्रेटर नोएडा में शुरु

  • मरुस्थलीकरण का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UN Convention to Combat Desertification: UNCCD) के तहत 12 दिवसीय 14वां कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP-14) 2 सितम्बर 2019 को इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा में शुरु हुआ। यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव श्री इब्राहिम थियाव तथा राज्यमंत्री श्री बाबुल सुप्रियो तथा अन्य गणमान्यों व्यक्तियों की उपस्थिति में मीडियाकर्मियों को जानकारी देते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि व्यापक स्तर पर जागरूकता तथा लोगों की भागीदारी समय की आवश्यकता है। चाहे जलवायु परिवर्तन हो या मरुस्थलीकरण हो, मानव के कार्यों ने प्रकृति के संतुलन को नुकसान पहुंचाया है।
  • कृषि योग्य भूमि को संरक्षित करने के लिए विश्व स्तर पर चलाए जाने वाले अभियान के बारे में श्री जावड़ेकर ने कहा कि 122 देश भूमि निम्नीकरण (Land Degradation) की समस्या को राष्ट्रीय लक्ष्य बनाने और समावेशी विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए सहमत हुए हैं। इन देशों में ब्राजील, चीन, भारत, नाइजीरिया, रूस और दक्षिण अफ्रीका जैसे सर्वाधिक आबादी वाले देश शामिल हैं।
  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 09 सितंबर, 2019 को उच्चस्तरीय बैठक का उद्घाटन करेंगे।
  • यूएनसीसीडी भूमि के अच्छे रखरखाव पर एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। यह समावेशी भूमि प्रबंधन के जरिए पर्याप्त खाद्यान, जल और ऊर्जा सुनिश्चित करने में लोगों, समुदायों और देशों की मदद करता है।

मरुस्‍थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र कन्वेंशन (UNCCD)

  • कन्वेंशन की शुरूआत दिसंबर, 1996 में हुई थी। यह जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र फ्रेमवर्क सम्‍मेलन (यूएनएफसीसीसी) और जैविकीय विविधता पर सम्‍मेलन (सीबीडी) के साथ तीन रियो सम्‍मेलनों में से एक है।
  • भारत ने यूएनसीसीडी पर 14 अक्‍टूबर, 1994 को हस्‍ताक्षर किए थे और 17 दिसंबर, 1996 को इसकी पुष्टि की थी।
  • सम्‍मेलन का मुख्‍य उद्देश्‍य प्रभावित इलाकों में दीर्घकालिक समेकित रणनीतियों को शामिल करना है, जिनकी मदद से प्रभावित इलाकों में, भूमि की बेहतर उत्‍पादकता, और पुनर्वास, संरक्षण और भूमि तथा जल संसाधनों के निरंतर प्रबंधन पर भी ध्‍यान दिया जा सके ताकि उन देशों में मरुस्‍थलीकरण से निपटा जा सके और सूखे के प्रभावों को कम किया जा सके, जहां भयंकर सूखा पड़ता है तथा/अथवा मरुस्‍थलीकरण है। इससे रहन-सहन की स्थितियों में खासतौर से सामुदायिक स्‍तर पर पर सुधार होगा।

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