- भारत में त्योहारों के दौरान उल्लू की आनुष्ठानिक बलि देने की तांत्रिक परंपरा रही है। दशहरा से लेकर दीवाली तक उल्लू को अवैध तरीके से फंसाकर बलि दी जाती है।
- इसी के मद्देनजर वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क ‘ट्राफिक’ (TRAFFIC) ने भारत में कानून प्र्रवर्तन एजेंसियों से उल्लूओं पर निगरानी बढ़ाने का परामर्श जारी किया है।
- ‘इम्पेरिल्ड कस्टडियंस ऑफ नाइट’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में ट्राफिक ने कहा है कि भारत में कई उद्देश्यों से उल्लूओं का गैर-कानूनी व्यापार किया जाता है। इनमें शामिल हैंः काला जादू, प्रदर्शनी, भोजन, स्थानीय चिकित्सा इत्यादि।
- उल्लू, विशेष रूप से कान वाले उल्लू को ‘बड़ी जादूई शक्ति’ वाला माना जाता है और दीवाली की रात इसकी बलि को शुभ होने का दावा किया जाता है।
उल्लू प्रजाति
- भारत में उल्लूओं की 30 प्रजातियों पाई जाती हैं जिनमें से 15 का गैर-कानूनी व्यापार किया जाता है। स्पॉटेड उल्लू (Athene brama), बार्न उल्लू (Tyto alba) व रॉक इगल उल्लू (Bubo bengalensis) का सर्वाधिक अवैध व्यापार किया जाता है।
- उल्लू को वन्यजीव सुरक्षा एक्ट के तहत संरक्षण प्राप्त है जो इसके व्यापार, शिकार या व्यापार को प्रतिबंधित करता है। इसके अलावा संकटापन्न प्रजाति के जीव जंतुओं के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कंवेंशन (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora: CITES) ने भी इसके अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिंध लगा रखा है।
ट्राफिक
- ट्राफिक (TRAFFIC) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जो वन्यीवों एवं पौधों के जैव विविधता संरक्षण व सतत विकास के आलोक में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर निगरानी रखता है।
- इसका वैश्विक कार्यालय कैंब्रिज में है।