सर्वोच्च न्यायालय ने भारत में अफ़्रीकी चीता लाने की अनुमति दी

Iranian Cheetah (Image credit: Wikimedia Commons)

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोब्डे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने 28 जनवरी, 2020 को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को भारत में एक उपयुक्त पर्यावास में नामीबिया से अफ्रीकी चीता लाने की अनुमति दे दी।

सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि अफ्रीकी चीतों को जंगल में “सावधानी से चुने गए स्थान” में लाया जा सकता है।

एनटीसीए ने नामीबिया से अफ्रीकी चीता को लाने की अनुमति मांगी थी।

सर्वोच्च न्यायालय ने एनटीसीए को ‘गाइड’ करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया, जिसमें भारतीय वन्यजीव संस्थान के पूर्व निदेशक रंजीत सिंह, भारतीय वन्यजीव संस्थान के महानिदेशक धनंजय मोहन और पर्यावरण मंत्रालय के डीआईजी-वन्यजीव शामिल हैं ।

एशियाटिक चीता

  • ‘चीता’ शब्द संस्कृत के चित्रक से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘चित्तीदार’। एशियाटिक चीता (Asiatic Cheetah) के शुरुआती साक्ष्य 2500 से 2300 ईसा पूर्व में मध्य प्रदेश के ऊपरी चंबल घाटी में खारवई और खैराबाद गुफा चित्रों में पाए जाते हैं।
  • 1947 में आज़ादी के पश्चात चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी जानवर है जो विलुप्त घोषित कर दिया गया है।
  • 1947 में, छत्तीसगढ़ के देवघर के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह ने कथित तौर पर भारत में अंतिम ज्ञात चीता की हत्या कर दी थी । बाद में 1952 में, चीता को आधिकारिक रूप से भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
  • एशियाई चीता को IUCN रेड लिस्ट में “गंभीर रूप से संकटापन्न ” प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है, और माना जाता है कि यह केवल ईरान में ही जीवित है।
  • हालाँकि अफ्रीका में 7,100 अफ़्रीकी चीते जंगली जरूर बचे हुए हैं।

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