- सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा को सहज व सुलभ बनाने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘चार धाम यात्रा ’ का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों पर नजर रखने के लिए देहरादून पिपुल्स साइंस एनिशिएटिव के निदेशक रवि चोपड़ा की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में अंतरिक्ष विभाग, भारतीय वन्यजीव संस्थान, रक्षा मंत्रलय के प्रतिनिधि भी होंगे।
- यह कमेटी चार महीनों के भीतर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रलय को अपनी रिपोर्ट देगी।
पृष्ठभूमि
- केंद्र सरकार द्वारा घोषित चार धाम परियोजना के खिलाफ कुछ पर्यावरणविदों ने चिंताएं जाहिर की थीं। इस परियोजना के खिलाफ देहरादून स्थित ग्रीन दून ने फरवरी 2018 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दायर की थी।
- एनजीटी ने कुछ शर्तों के तहत 26 सितंबर, 2018 को इस परियोजना को जारी रखने को मंजूरी दे दी।
- बाद में सर्वोच्च न्यायालय में तकनीकी स्तर पर एनजीटी के फैसले पर रोक लगा दी। हालांकि 8 अगस्त, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ शर्तों के अधीन परियोजना को जारी रखने को मंजूरी दे दी। इस शर्त में शामिल है एक स्वतंत्र कमेटी का गठन।
- एनजीटी ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का आदेश दिया था परंतु सर्वोच्च न्यायालय ने रवि चोपड़ा की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का आदेश दिया जो खुद इस परियोजना के आलोचक रहे हैं।
पर्यावरणीय चिंताएं
एनजीटी के समक्ष चार धाम परियोजना के संदर्भ में निम्नलिखित पर्यावरणीय चिंताएं जाहिर की गईंः
- चार धार्म राजमार्ग में कई जगह पहाड़ी ढ़ाल अस्थिर हो गई है और लैंडस्लिप सक्रिय हो गई है।
- अलकनंदा व भागीरथी घाटी में अचानक बाढ़ आने की कई घटनाएं घट चुकी है, साथ ही चमोली व उत्तरकाशी में भूकंप भी आ चुका है।
- सड़कों को चौड़ा करने से लैंडस्लिप को बढ़ावा मिल सकता है।
- पेड़ों को काटने से मृदा कमजोर हो जाती है और ढ़ालों को अस्थिर कर देती है।
चार धाम परियोजना
- इस परियोजना का उद्देश्य चार धाम तीर्थयात्रा केन्द्रों के लिए कनेक्टिविटी में सुधार लाना है ताकि इन केंदों तक यात्रा और सुरक्षित, तेज व और सुविधाजनक हो सके। चार धाम में शामिल हैं: केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री।
- चारधाम परियोजना के तहत उत्तराखंड में कुल 1200 करोड़ रुपये की लागत से 900 किमी. के राष्ट्रीय राजमार्ग का विकास किया जाना है।
- कुल 3000 करोड़ु रुपये की लागत वाली 17 परियोजनाओं को पहले ही मंजूरी दे दी गई है और उनके निविदाएं जारी की जा चुकी है।
- राजमार्ग की चौड़ाई कम से कम 10 मीटर होगी। राजमार्ग पर यातायात में सुगमता के लिए सुरंग, बायपास, पुल, सब-वे आदि होंगे। एक टीम को भूस्खलन वाले संवेदनशील क्षेत्र की पहचान करने के लिए लगाया जाएगा। ये टीम इन क्षेत्रों को सुरक्षित बनाने के लिए यहां के डिजाइन को लेकर सुझाव देगी।
- चारधाम रूट के साथ-साथ विभिन्न सुविधाओं और सार्वजनिक सुविधाओं का भी निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा यहां पार्किंग के लिए रिक्त स्थान और आपातकालीन निकास के लिए हेलीपैड भी बनाए जाएंगे।