- मणिपुर के विष्णुपुर जिला के थिंगनुनग्गेई (Thingnunggei village) गांव व उसके आसपास के लोगों ने राज्य सरकार द्वारा पक्षी अभ्यारण्य स्थापित करने का विरोध किया है। सरकार के इस प्रस्ताव के खिलाफ बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया।
- गांव के लोगाें का मानना है कि वे गरीब हैं और उनकी आजीविका का एकमात्र सहारा लोकटक झील में मछली मारना व सब्जियां उगाना है। यदि झील में मछली मारने पर पाबंदी लगा दी जाती है तो वे लोग भूखे मर जाएंगे। उनका यह भी कहना है कि वे प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए तैयार हैं परंतु उनकी आजीविक को मारकर नया प्रस्ताव लागू नहीं होना चाहिए।
- उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष हजारों प्रवासी पक्षी समृद्ध आहार को देखते हुए लोकटक झील का रूख करते हैं जो पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र होता है। परंतु हाल के वर्षों में इन पक्षियों की संख्या में काफी कमी आई है। पक्षी विज्ञानी प्रवासी पक्षियों में कमी के लिए पक्षियों का शिकार व जल विद्युुत परियोजना को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनके मुताबिक यदि इस क्षेत्र में पक्षी अभ्यारण्य स्थापित किया जाता है तो इससे पक्षियों के संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।
लोकटक झील के बारे में
- लोकटक झील पूर्वोत्तर भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है। तैरते फुमडी (Phumdi) के कारण इसे विश्व की एकमात्र तैरती झील (floating lake) की भी संज्ञा दी जाती है। फुमडी वनस्पति, मृदा एवं आर्गेनिक पदार्थों का ठोस रूप है।
- इस झील के दक्षिणी छोर पर केइबुल लामजाओ नेशनल पार्क (Keibul Lamjao National Park) है जहां संकटापन्न संगाई हिरण या मणिपुर ब्रॉ एंटलीरेड डीयर का एकमात्र पर्यावास भी है।