- विश्व के 40 देशों के सिटिजन साइंटिस्ट 21-29 जुलाई, 2018 को राष्ट्रीय कीट/फतिंगा सप्ताह’ (National Moth Week) मना रहे हैं। इसमें भारत के सिटिजन साइंटिस्ट भी शामिल हैं।
- यह सप्ताह के आयोजन का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को अपने आसपास कीट/फतिंगा को खोजने तथा उसका रिकॉर्ड रखने के लिए जागरूक करना है।
- यह सप्ताह वर्ष 2012 में अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा आरंभ किया गया था। इस आयोजन के लिए जुलाई का अंतिम सप्ताह चुनने के पीछे मुख्य ध्येय यह है कि उत्तरी गोलार्द्ध में इसी समय अधिक फतिंग दिखते हैं।
- ‘राष्ट्रीय फतिंगा सप्ताह’ में राष्ट्रीय किसी एक राष्ट्र से संबंधित नहीं है वर्न इस अभियान से जुड़े देशों का यह संकेतक है।
- इस सप्ताह के आयोजन के दौरान लोग अपने स्मार्टफोन पर फतिंगा का फोटो लेकर आईनेचुरलिस्ट (iNaturalist) जैसे सिटजिन साइंस मोबाइल एप्लिकेशन पर या इंडियन बायोडायवर्सिटी पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं।
- फतिंगा पृथ्वी पर सर्वाधिक विविध व सफल सजीवों में से एक हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान पृथ्वी पर 1,50,000 से 5,00,000 कीट/फतिंगा की प्रजातियां हैं।
- ज्ञातव्य है कि भारत में 10,000 से अधिका कीट/फतिंगा प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें एक्टियाास सेलेनी जैसा फतिंगा भी शामिल है।
- फतिंगा को बायोइंडिकेटर या जैवसंकेतक कहा जाता है क्योंकि ये हमारे पारितंत्र के स्वास्थ्य के भी संकेतक होते हैं।