खान मंत्रालय ने बॉक्साइट अवशेष (सामान्य नाम रेड मड) के बेहतर उपयोग के लिए 26 जुलाई 2019 को एक कार्यशाला ‘वेस्ट टु वेल्थ’ का आयोजन किया।
- कार्यशाला में रेड मड (Red Mud) के उत्पादन, उपयोग और निष्पादन के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। जवाहरलाल नेहरू एल्यूमिनियम अनुसंधान विकास और डिजाइन केंद्र (जेएनएआरडीडीसी), नागपुर के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला की अध्यक्षता खान मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. के राजेश्वर राव ने की।
रेड मड
- एल्यूमिनियम उत्पादन प्रक्रिया के दौरान एक ठोस अपशिष्ट रेड मड का उत्पादन होता है। इसमे कास्टिक सोडा और अन्य खनिजों की उपस्थिति रहती है, जो पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है। विश्व स्तर पर 150 मिलियन टन रेड मड का उत्पादन होता है। विश्व स्तर पर लगभग 3 बिलियन टन रेड मड जमा है। भारत में प्रतिवर्ष 9 मिलियन टन रेड मड का उत्पादन होता है।
- इस कार्यशाला में पर्यावरण और जलवायु मंत्रालय, ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बीएआरसी, भारतीय खान ब्यूरो, सड़क परिवहन मंत्रालय, एनएचएआई, बीआईएस, सेना के इंजीनियर-इन-चीफ, शीर्ष तीन एल्मूनियम उत्पादक कंपनियों – नाल्को, वेदांता और हिंडाल्को, सीमेंट उद्योग और सिरामिक उद्योग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। खान मंत्रालय के सचिव श्री अनिल मुकीम ने कहा कि रेड मड के बेहतर उपयोग का दीर्घकालिक समाधान ढूंढने के लिए सभी हितधारकों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए।
- आवश्यक सरकारी सहायता के साथ बड़े पैमाने पर रेड मड के प्रभावी उपयोग के प्रयासों पर चर्चा की गई। यह सभी हितधारकों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगा। विचार-विमर्श के आधार पर रेड मड के बेहतर उपयोग के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा।