भारत ने उर्वर क्षमता खो चुकी 50 लाख हेक्‍टेयर भूमि की 2030 तक बहाली का संकल्‍प लिया

  • भारत मरुस्‍थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र कन्वेंशन (यूएनसीसीडी) (UN Convention to Combat Desertification: UNCCD) के पक्षों के 14वें सम्‍मेलन (सीओपी14) की मेजबानी करेगा। ग्रेटर नोएडा में इंडिया एक्‍सपो सेंटर एंड मार्ट में 2 से 13 सितम्‍बर, 2019 तक इसका आयोजन किया जाएगा।
  • केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने मरुस्‍थलीकरण से निपटने के भारत के संकल्‍प को दोहराया। श्री जावड़ेकर ने कहा ‘मरुस्‍थलीकरण एक विश्‍वव्‍यापी समस्‍या है जिससे 250 मिलियन लोग और भूमि का एक तिहाई हिस्‍सा प्रभावित है।’ इसका मुकाबला करने के लिए भारत अगले दस वर्षों में उर्वर क्षमता खो चुकी लगभग 50 लाख हेक्‍टेयर भूमि को उर्वर भूमि में बदल देगा। इसमें नई दिल्‍ली घोषणा पत्र के प्रावधानों को लागू किया जाएगा, जिन्‍हें सम्‍मेलन की समाप्ति पर स्‍वीकार किया जाएगा और देहरादून में एक उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र स्‍थापित किया जाएगा।
  • 11 दिवसीय सम्‍मेलन में 196 देशों के प्रतिनिधि अपनी विशेज्ञता प्रस्‍तुत करेंगे और उसे साझा करेंगे तथा अपने लक्ष्‍यों को हासिल करने के संबंध में संक्षिप्‍त विवरण देंगे। इनमें राष्‍ट्रीय और स्‍थानीय सरकारों के वैज्ञानिक और प्रतिनिधि, दुनिया के प्रमुख उद्योगपति, एनजीओ, प्रकृति से जुड़े संगठन, युवा समूह, पत्रकार तथा सामुदायिक समूह शामिल हैं।

मरुस्‍थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र कन्वेंशन (UNCCD)

  • कन्वेंशन की शुरूआत दिसंबर, 1996 में हुई थी। यह जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र फ्रेमवर्क सम्‍मेलन (यूएनएफसीसीसी) और जैविकीय विविधता पर सम्‍मेलन (सीबीडी) के साथ तीन रियो सम्‍मेलनों में से एक है।
  • भारत ने यूएनसीसीडी पर 14 अक्‍टूबर, 1994 को हस्‍ताक्षर किए थे और 17 दिसंबर, 1996 को इसकी पुष्टि की थी।
  • सम्‍मेलन का मुख्‍य उद्देश्‍य प्रभावित इलाकों में दीर्घकालिक समेकित रणनीतियों को शामिल करना है, जिनकी मदद से प्रभावित इलाकों में, भूमि की बेहतर उत्‍पादकता, और पुनर्वास, संरक्षण और भूमि तथा जल संसाधनों के निरंतर प्रबंधन पर भी ध्‍यान दिया जा सके ताकि उन देशों में मरुस्‍थलीकरण से निपटा जा सके और सूखे के प्रभावों को कम किया जा सके, जहां भयंकर सूखा पड़ता है तथा/अथवा मरुस्‍थलीकरण है। इससे रहन-सहन की स्थितियों में खासतौर से सामुदायिक स्‍तर पर पर सुधार होगा।

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