गोल्डेन लंगूर के लिए मनरेगा के तहत फल उत्पादन

  • वर्ष 2005 में आरंभ महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना यानी ‘मनरेगा’ के तहत पहली बार गैर-मानव लाभार्थी होने जा रहा है। यह लाभार्थी है पश्चिमी असम के बोंगाइगांव जिला में स्थित रिजर्व फॉरेस्ट का दुर्लभ गोल्डेन लंगूर (golden langur )।
  • 5 जून, 2019 को जिला प्रशासन मनरेगा योजना के तहत 27-24 लाख रुपये की परियोजना आरंभ की है जिसके तहत काकोईजियाना रिजर्व फॉरेस्ट (Kakoijana Reserve Forest) में अमरूद, आम, ब्लैकबेरी एवं अन्य फलों के 10575 पेड़ लगाए जाएंगे। इससे गोल्डेन लंगूर को भोजन के लिए बाहर जाकर अपनी जान जोखिम नहीं डालनी पड़ेगी।
  • उल्लेखनीय है कि विगत वर्षों में बिजली की तारों से चिपकने या सड़क दुर्घटना में कई गोल्डेन लंगूर अपनी जान खो चुका है।
    हालांकि वन्यजीव संरक्षक विशेषज्ञों ने बोंगाइगांव जिला प्रशासन की इस पहल का स्वागत किया है परंतु उनका यह भी कहना है कि यह प्रयास तभी सतत रह सकता है जब इस फॉरेस्ट रिजर्व को वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया जाए।
  • काकोईजियाना कभी चक्रशिला वन्यजीव अभ्यारण्य से संपृक्त था।

गोल्डेन लंगूर

  • इसका वैज्ञानिक नाम ट्रासीपिथेकस गी (Trachypithecus geei) है।
  • यह आईयूसीएन की लाल सूची में संकटापन्न प्रजाति के रूप में वर्गीकृत है।
  • पूरे विश्व में यह प्रजाति केवल भूटान एवं भारत में पाई जाती है।
  • भारत में यह केवल असम में पाई जाती है। असम में उमानंदा द्वीप एवं बोंगाइगांव जिला में स्थित काकोईजियाना रिजर्व फॉरेस्ट में पाई जाती है।
  • भारतीय वन्यजीव संरक्षण एक्ट 1972 के तहत इसे अनुसूची-1 के तहत शामिल किया गया है जो सर्वाधिक संरक्षण स्थिति को दर्शाता है।

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