Updated on Sept 14, 9.01 AM
- वैज्ञानिकों ने आमेजन नदी बेसिन में ईलेक्ट्रिक ईल की दो नई प्रजातियों को खोजा है। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक ईल की अब तीन प्रजातियां हो गई हैं।
- ईलेक्ट्रिक ईल की जिन दो नई प्रजातियों को खोजा गया है उनमें से एक इतना जोर का झटका दे सकता है, शायद ही कोई जानवर दे।
जिन दो नई प्रजातियों को खोजा गया है, वे हैंः इलेक्ट्रोफोरस वोल्टाई (Electrophorus voltai) एवं इलेक्ट्रोफोरस-वारी (Electrophorus varii)। - इनमें से ई-वोल्टाई (E-Voltai) 860 वोल्ट का बिजली का झटका दे सकती है जो आम ईलेक्ट्रिक ईल के 650 वोल्ट की तुलना में काफी अधिक है। वहीं ई-वारी (E-Varii) 572 वोल्ट का झटका दे सकती है। ई-वारी को मछली विशेषज्ञ रिचर्ड वारी का नाम दिया गया है।
- इस खोज से पहले यही माना जाता था कि ईलेक्ट्रिक ईल की केवल एक प्रजाति ‘ई-इलेक्ट्रिकस’ (E. electricus) है। इसकी खोज आज से 250 वर्ष पहले हुयी थी।
- आमेजन बेसिन में इलेक्ट्रिक ईल की दो नई प्रजातियों की खोज यही इंगित करता है कि आमेजन बेसिन का संरक्षण कितना महत्वपूर्ण है और यह अपने भीतर अभी भी कितना जैव विविधता रहस्य छिपाए हुए है।
ईलेक्ट्रिक ईल के बारे में
- ईलेक्ट्रिक ईल (electric eel) वस्तुतः ईल न होकर मछली है। यह वोल्टेज पैदा करने के लिए तंत्रिका प्रणाली का इस्तेमाल करती है। अपनी इस विशिष्टता का इस्तेमाल शिकारियों को अपने वश में करने के लिए करती है।
- उल्लेखनीय है कि ईलेक्ट्रिक ईल की प्रथम खोज ने ही 1799 में प्रथम बैटरी की खोज को प्रेरित किया। ईलेक्ट्रिक ईल की दो नई प्रजातियों की खोज से इस बात का और पता लगाया जा सकता है कि ईलेक्ट्रिक ईल विद्युत कैसे पैदा करती है।
- नई खोज के साथ ईल की तीन प्रजातियां हो गई हैं। ये हैंः
- ई-इलेक्ट्रिकस (गियाना शील्ड क्षेत्र)
- इलेक्ट्रोफोरस वोल्टाई (ब्राजीलियन शील्ड)
- इलेक्ट्रोफोरस-वारी (आमेजन बेसिन)