- केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के अनुसार सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने कम प्रदूषण फैलाने वाले ऐसे पटाखे (E-crackers) विकसित किये हैं जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि परम्परागत पटाखों की तुलना में 15 से 20 प्रतिशत सस्ते हैं।
- इन पटाखों को सेफ वॉटर रिलीजर (स्वास), सेफ मिनिमल एल्युमिनियम (सफल) और सेफ थर्माइट क्रैकर (स्टार) नाम दिया गया है।
- स्वास (safe water releaser: SWAS) नामक पटाखा पोटैशियम नाइट्रेट एवं सल्फर के उपयोग को समाप्त करता है। इससे पर्टिकुलेट मैटर एसओ2 एवं एनओएक्स में 30 से 35 प्रतिशत की कमी आती है।
- स्टार (safe thermite cracker: STAR) नामक पटाखा पोटैशियम नाइट्रेट एवं सल्फर के उपयोग को समाप्त करता है। इससे पर्टिकुलेट मैटर एसओ2 एवं एनओएक्स में 35 से 40 प्रतिशत की कमी आती है।
- सफल (safe minimal aluminium: SAFAL) में एल्युमिनियम का कम से कम उपयोग होता है और वाणिज्यिक पटाखों की तुलना में पर्टिकुलेट मैटर में 35 से 40 प्रतिशत की महत्वपूर्ण कमी करता है।
- सीएसआईआर-सीरी ( CSIR-NEERI) सुरक्षित एवं प्रदूषण मुक्त प्रौद्योगिकी पर आधारित ई-पटाखों का विकास कर रहा है।
- अभी ई-लड़ी (E-Ladi ) का विकास किया गया है। यह प्रकाश व ध्वनि सृजित करने के लिए हाई वोल्टेज इलेक्ट्रोस्टेइक डिस्चार्ज पर आधारित है। सीएसआईआर-सीरी पिलानी ने इसका प्रोटोटाइप विकसित किया है।
- यह जानकारी देते हुए कि भारतीय पटाखा उद्योग की कुल वार्षिक बिक्री 6,000 करोड़ रुपये है और यह 5 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्रदान करता है, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सीएसआईआर के इस प्रयास का उद्देश्य प्रदूषण से जुड़ी चिन्ताओं को दूर करने के साथ ही इस व्यापार में लगे लोगों की आजीविका की रक्षा करना है।
- डॉ. हर्षवर्धन ने पटाखों में और सुधार करने के लिए उठाए गये अऩेक कदमों की जानकारी दी। भारत में पहली बार सीएसआईआर-एनईईआरआई में उत्सर्जन परीक्षण सुविधा स्थापित की गई है और उत्सर्जन तथा आवाज की निगरानी के लिए परम्परागत और हरित पटाखों का विस्तृत परीक्षण चल रहा है।