- श्रम और रोजगार मंत्रालय ने राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी तय करने के संबंध में समीक्षा करने और उसकी पद्धति सुझाने के लिए वीवी गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान के फैलो डॉ. अनूप सतपथी की अध्यक्षता में 17 जनवरी, 2017 को एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति ने इस संबंध में श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव के जरिये 14 फरवरी, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
- उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी तय करने पर पहले भी प्रयास होते रहेे हैं। 15वें अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन द्वारा इस संबंध में सिफारिश की गई, फिर 1992 में वर्कमैन बनाम रेप्टाकोस ब्रेट कंपनी वाद में सर्वोच्च न्यायालय में भी इस संबंध में टिप्पणी की। न्यनूतम मजदूरी पर केंद्रीय परामर्श बोर्ड की सिफारिश के मद्देनजर ने उपर्युक्त कमेटी का गठन किया गया।
- कमेटी ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के मानदंडों के आधार पर संतुलित आहार को भी न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने में आधार के रूप में अपनाया है। इसमें अनिवार्य गैर-खाद्यान्न्न वस्तुओं को भी शामिल किया गया है।
- उच्चतम न्यायालय के आदेश और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा पोषण आवश्यकताओं को आधार बनाकर विशेषज्ञ समिति ने आवश्यकता आधारित राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी 375 रुपये प्रति दिन (9,750 रुपये प्रति माह) तय करने का सुझाव दिया है, जो जुलाई, 2018 के अनुरूप है। समिति ने अतिरिक्त हाउस रेंट भत्ते की भी सिफारिश की है जो शहरी मजदूरों के संबंध में औसतन 55 रुपये प्रति दिन (1,430 रुपये प्रति माह) तय की गयी है।
- कमेटी ने एकल राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी के अलावा विभिन्न भौगोलिक क्षेत्र के अनुरूप भिन्न राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी की भी सिफारिश की है। समग्र सूचकांक पर आधारित और क्षेत्रवार राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी का ब्यौरा इस प्रकार है –
क्षेत्र I | क्षेत्र II | क्षेत्र III | क्षेत्र IV | क्षेत्र V |
असम, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, और पश्चिम बंगाल | आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, और उत्तराखंड | गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, और तमिलनाडु | दिल्ली, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, और पंजाब | अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, सिक्किम, मिजोरम और त्रिपुरा |
342 रुपये प्रति दिन | 380 रुपये प्रति दिन | 414 रुपये प्रति दिन | 447 रुपये प्रति दिन | 386 रुपये प्रति दिन |
(8,892 रुपये प्रति माह) | (9880 रुपये प्रति माह) | (10,764 रुपये प्रति माह) | (11,622 रुपये प्रति माह) | (10, 036 रुपये प्रति माह) |
- समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि हर पांच साल में एनएसएसओ-सीईएस आंकड़ों के आधार पर खपत बास्केट की समीक्षा की जाए और हर 6 महीने के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार बुनियादी न्यूनतम मजदूरी को दुरुस्त बनाया जाए, जो जीवन यापन के खर्च में होने वाले बदलावों के अनुरूप हो।