- पिछले 5 वर्षों अर्थात वर्ष 2009-10 से वर्ष 2013-14 के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 3117.38 करोड़ रुपये मूल्य की केवल 7.28 लाख टन दलहन एवं तिलहन की खरीद की गई थी, जबकि वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 के दौरान एमएसपी पर भारत सरकार द्वारा 44142.50 करोड़ रुपये मूल्य की 93.97 लाख टन दलहन एवं तिलहन की खरीद की गई है। इसमें 35,800 करोड़ रुपये मूल्य की 78.84 लाख टन की खरीद अकेले मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में की गई है। इस अवधि के दौरान दलहनों एवं तिलहनों की खरीद से 54 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए जो यह दर्शाता है कि एमएसपी पर खरीद से प्रत्येक किसान को औसतन लगभग 80000 रुपये का लाभ पहुंचा था।
- किसानों के कल्याण को भारत सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के संदर्भ में सरकार ने उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही किसानों के लिए लाभकारी और स्थिर मूल्य का माहौल सुनिश्चित करने पर भी विशेष जोर दिया है। इस संबंध में सरकार ने पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान दलहन एवं तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार की गतिविधियां आरंभ की हैं, ताकि देश में खाद्यान्नों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करते हुए किसानों की आय में भी अधिकाधिक वृद्धि की जा सके।
- उल्लेखनीय है कि देश में वर्ष 2009-10 के दौरान दलहनों का उत्पादन 14.66 मिलियन टन था, जबकि इसकी तुलना में वर्ष 2017-18 के दौरान दलहनों का उत्पादन 25.23 मिलियन टन हुआ है। इस प्रकार दलहनों के उत्पादन में 72.10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार उपर्युक्त अवधि के दौरान 24.88 मिलियन टन तिलहनों के उत्पादन की तुलना में 31.3 मिलियन टन तिलहनों का उत्पादन हुआ है। इस प्रकार तिलहनों के उत्पादन में 25.80 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- उत्पादन में यह वृद्धि विशेषकर दलहनों के क्षेत्र में भारत सरकार की सक्रिय व समन्वित रणनीति के परिणामस्वरूप हुई है जिसमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए दलहनों के बुवाई क्षेत्र के विस्तार पर जोर देना और प्रभावकारी फसल बीमा स्कीम प्रारंभ करना शामिल हैं। चूंकि दलहन की खेती अधिकतर वर्षा सिंचित क्षेत्रों में की जाती है, इसलिए जल संरक्षण उपाय करने पर विशेष जोर देने से यह संभव हुई।
- भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दलहनों की रिकॉर्ड खरीद करके उत्पादकों की सहायता की गई है। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के दलहनों के बफर स्टाक रखने के निर्णय से भी देश में दलहनों के उत्पादन में वृद्धि करने में काफी सहायता मिली है। इस वर्ष उत्पादन लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने जैसे साहसिक सरकारी कदम से किसानों को देश के लिए दलहन एवं तिलहन का उत्पादन करने हेतु और अधिक प्रोत्साहन मिला है। यह भी उल्लेखनीय है कि मूंग की कीमत वर्ष 2013-14 में 4500 रुपये प्रति क्विंटल थी जो वर्ष 2018-19 में बढ़ाकर 6979 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई। इसी प्रकार उड़द की कीमत 4300 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5600 रुपये प्रति क्विंटल एवं सूरजमुखी की कीमत 3700 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5388 रुपये प्रति क्विंटल की गई।
- वर्ष 2009-2014 के दौरान की गई खरीद की तुलना में वर्ष 2014 से अब तक दलहन और तिलहन की खरीद में लगभग 13 गुना वृद्धि होना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
- हाल ही में शुरू की गई समग्र योजना – ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा)’ में कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करने के उद्देश्य से उत्पादकों/किसानों हेतु लाभकारी एवं स्थायी मूल्य संबंधी माहौल बनाने के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है। इस समग्र योजना में किसानों को एमएसपी सुनिश्चित करने हेतु दलहन और तिलहन के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), तिलहन हेतु भावान्तर भुगतान योजना (पीडीपीएस) तथा पायलट स्कीम निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना शामिल हैं। किसानों को एमएसपी प्रदान करने हेतु धान, गेहूं और मोटे अनाज की खरीद के लिए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग तथा कपास और जूट के लिए वस्त्र मंत्रालय की वर्तमान योजना जारी रहेगी। इन योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की संयुक्त व्यवस्था की आवश्यकता होगी। ‘पीएम-आशा’ योजना में 15,053 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता का प्रावधान है।
- वर्ष 2013-14 तक 2500 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी की तुलना में पीएसएस प्रचालन कार्यों के सुचारू संचालन के लिए वर्ष 2018-20 हेतु 18,250 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी उपलब्ध कराई गई है। भारतीय खाद्य निगम पहली बार तिलहन और दलहन उगाने वाले किसानों के लिए एमएसपी सुनिश्चित करने के वास्ते इन प्रचालन कार्यों में भाग लेगा।