न्यूनतम मजदूरी के बेहतर और प्रभावी कार्यान्वयन से मजदूरी की, खासतौर से निचले स्तर पर असमानता कम करने की दिशा में मदद मिलेगी। आज के परिप्रेक्ष्य में यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि मजदूरी वितरण के मामले में महिलाएं निचले पायदान पर हैं। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2018-19 में यह बात कही गई है।
आर्थिक समीक्षा 2018-19 में कहा गया है कि एक प्रभावी न्यूनतम मजदूरी नीति, जिसमें कम मजदूरी वाले निचले पायदान के लोगों को लक्षित किया गया है, वह औसत मांग बढ़ाने में मदद कर सकती है और मध्यम वर्ग को मजबूती प्रदान कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप निरंतर और समग्र विकास होगा।
आर्थिक समीक्षा 2018-19 के अनुसार न्यूनतम मजदूरी प्रणाली का एक प्रभावी प्रारूप तैयार करने के लिए निम्नलिखित नीतिगत सिफारिशें की गई हैं :
- सरल और युक्तिसंगत बनाना : मजदूरी विधेयक कोड के अंतर्गत प्रस्तावित न्यूनतम मजदूरी को युक्तिसंगत बनाने के लिए सहयोग की आवश्यकता है। यह कोड न्यूनतम मजदूरी कानून 1948, मजदूरी भुगतान कानून 1936, बोनस भुगतान कानून 1965 और समान पारिश्रमिक कानून को एक करता है। नये विधेयक में ‘मजदूरी’ की परिभाषा में विभिन्न श्रम कानूनों में मजदूरी की 12 विभिन्न परिभाषाओं के संबंध में वर्तमान स्थिति को शामिल किया जाए।
- न्यूनतम मजदूरी के लिए एक राष्ट्रीय स्तर के मंच की स्थापना : केन्द्र सरकार को ‘न्यूनतम मजदूरी के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का एक मंच’ अधिसूचित करना चाहिए, जो पांच भौगोलिक क्षेत्रों में विस्तृत रूप से फैला हो। इसके बाद राज्य विभिन्न स्तरों पर अपनी न्यूनतम मजदूरी तय कर सकते हैं, जो ‘इस मंच में निर्धारित मजदूरी’ से कम नहीं होनी चाहिए। इससे देश भर में न्यूनतम मजदूरी में कुछ समानता लाई जा सकेगी और निवेश के लिए श्रम लागत की दृष्टि से सभी राज्यों को समान रूप से आकर्षित बनाया जा सकेगा, साथ ही कठिनाई की स्थिति में होने वाले पलायन को कम किया जा सकेगा।
- न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए मानदंड : मजदूरी विधेयक के बारे में कोड में न्यूनतम मजदूरी तय करने के दो कारकों यानी (i) कौशल युक्त श्रेणी, जिसमें अकुशल, अर्द्ध कुशल, कुशल और अत्याधिक कुशल लोग होंगे; और (ii) भौगोलिक क्षेत्र, अथवा अन्यथा दोनों पर विचार किया जाना चाहिए। इस महत्वपूर्ण परिवर्तन से देश में न्यूनतम मजदूरी लेने वाले लोगों की संख्या में पर्याप्त कमी आएगी।
- कवरेज: मजदूरी विधेयक पर प्रस्तावित कोड में सभी क्षेत्रों में रोजगारों/श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी की उपयुक्तता का विस्तार किया जाए और इसमें संगठित तथा असंगठित दोनों क्षेत्रों को शामिल किया जाए।
- नियमित रूप से सुधार और प्रौद्योगिकी की भूमिका : न्यूनतम मजदूरी का नियमित रूप से और अधिक तेजी से तालमेल करने के लिए एक प्रकिेया विकसित की जानी चाहिए। केन्द्र में एक राष्ट्रीय स्तर का डैश बोर्ड बनाया जा सकता है, जिसकी पहुंच राज्य सरकारों तक हो, जबकि राज्य न्यूनतम मजदूरी के संबंध में अधिसूचनाओं को नियमित रूप से अपडेट कर सकते हैं। यह पोर्टल कॉमन सर्विस सेंटरों (सीएससी), ग्रामीण हाटों आदि में अवश्य उपलब्ध हो, जिसमें आवश्यक जनसंचार कवरेज हो, ताकि श्रमिकों को अपने सौदेबाजी के कौशल की पूरी जानकारी रहे और उसकी निर्णय करने की शक्ति मजबूत हो।
- शिकायत निवारक : कानूनी तौर पर निर्धारित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं होने पर शिकायत दर्ज करने के लिए आसानी से याद रखने लायक एक टोल फ्री नम्बर होना चाहिए और इसका काफी प्रचार किया जाना चाहिए, ताकि कम मजदूरी लेने वाले श्रमिकों को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए एक मंच मिल सके।