केंद्र सरकार ने 12 जून, 2019 को बेस इरोसन एंड प्रोफिट सिफ्टिंग (बीईपीएस) को रोकने के लिए कर संधि संबंधित उपायों के क्रियान्वयन के लिए बहुपक्षीय कंवेंशन (एमएलआई) (Multilateral Convention to Implement Tax Treaty Related Measures to Prevent Base Erosion and Profit Shifting : MLI) की अभिपुष्टि को मंजूरी प्रदान किया।
- इस समझौते के परिणामस्वरूप भारत के संधि पत्रों में संशोधन होगा, ताकि संधि के दुरुपयोग तथा आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण की रणनीतियों के जरिए होने वाले राजस्व नुकसान पर अंकुश लगाया जा सके। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उस जगह पर मुनाफे पर कर अवश्य लगाया जाए जहां लाभ अर्जित होने वाली व्यापक आर्थिक गतिविधियां संचालित की जाती हैं और जहां मूल्य का सृजन होता है।
- भारत ने आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण की रोकथाम हेतु कर संधि संबंधी उपायों को लागू करने के लिए बहुपक्षीय समझौते की पुष्टि कर दी है, जिस पर तत्कालीन वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने भारत की ओर से 7 जून, 2017 को पेरिस में हस्ताक्षर किए थे।
बहुपक्षीय समझौता आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण (बीईपीएस परियोजना)
- बहुपक्षीय समझौता आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण (बीईपीएस परियोजना-बेस इरोसन एंड प्रोफिट सिफ्टिंग) से निपटने से जुड़ी ओईसीडी/जी20 परियोजना का एक परिणाम है। यहां पर बीईपीएस से आशय उन कर नियोजन रणनीतियों से है जिनके जरिए मुनाफे को कम टैक्स या कुछ भी टैक्स अदा न करने वाले स्थानों, जहां या तो मामूली आर्थिक गतिविधियां होती हैं या कुछ भी आर्थिक गतिविधि नहीं होती है, पर कृत्रिम रूप से स्थानांतरित करने के लिए कर नियमों की खामियों से लाभ उठाया जाता है। इससे परिणामस्वरूप या तो मामूली टैक्स अदा करना पड़ता है या कुछ भी टैक्स नहीं देना पड़ता है। आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण से व्यापक ढंग से निपटने के लिए बीपीएस परियोजना के तहत 15 कार्यकलापों की पहचान की गई है।
- भारत 100 से अधिक देशों के तदर्थ समूह और जी20, ओईसीडी, बीईपीएस के सहयोगियों और ऐसे अन्य इच्छुक देशों के क्षेत्राधिकारों का हिस्सा था जिन्होंने बहुपक्षीय समझौते के मूल पाठ को अंतिम रूप देने में समान स्तर पर कार्य किया था और जिसकी शुरुआत मई 2015 में हुई थी। समझौते के साथ-साथ संबंधित विश्लेषणात्मक वक्तव्य के मूल पाठ को तदर्थ समूह द्वारा 24 नवंबर, 2016 को अपनाया गया था।
- समझौते के फलस्वरूप अन्य बातों के अलावा सभी हस्ताक्षरकर्ता संधि से संबंधित उन न्यूनतम मानकों को पूरा करने में सक्षम हो गए हैं जिन पर अंतिम बीईपीएस पैकेज के हिस्से के तहत सहमति जताई गई थी। इसमें कार्यकलाप (एक्शन) 6 के तहत संधि के दुरुपयोग की रोकथाम के लिए न्यूनतम मानक भी शामिल है।
- समझौते से संबंधित दो या उससे अधिक पक्षकारों के बीच कर संधि-पत्रों में संशोधन करना संभव हो जाएगा। यह ठीक उसी तरह से काम नहीं करेगा जिस तरह से किसी एकल मौजूदा संधि में संशोधन करने वाला प्रोटोकॉल करता है। इससे दायरे में आने वाले कर समझौते के मूल पाठ में प्रत्यक्ष रूप से संशोधन होगा। इसे मौजूदा कर संधि पत्रों के साथ ही लागू किया जाएगा जिससे उनके अनुप्रयोग में संशोधन हो सकेगा, ताकि बीईपीएस उपायों को लागू किया जा सके।
- इस समझौते के परिणामस्वरूप भारत के संधि पत्रों में संशोधन होगा, ताकि संधि के दुरुपयोग तथा आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण की रणनीतियों के जरिए होने वाले राजस्व नुकसान पर अंकुश लगाया जा सके। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उस जगह पर मुनाफे पर कर अवश्य लगाया जाए जहां लाभ अर्जित होने वाली व्यापक आर्थिक गतिविधियां संचालित की जाती हैं और जहां मूल्य का सृजन होता है।
पृष्ठभूमि
- उपर्युक्त समझौता दरअसल आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण से निपटने से जुड़ी ओईसीडी/जी20 परियोजना का एक परिणाम है जिसका एक सदस्य भारत भी है। इस समझौते से संबंधित देश बहुपक्षीय रूट के जरिए दुरुपयोग रोधी बीईपीएस परिणाम हासिल करने हेतु कर संधि संबंधी बदलावों को लागू करने में समर्थ हो गए हैं और इसके लिए ऐसे समझौते के लिए दविपक्षीय तौर पर नए सिरे से बातचीत करने की जरूरत नहीं है जो बोझिल है और जिसमें काफी समय लगता है। इससे बहुपक्षीय संदर्भ में बीईपीएस परियोजना के कार्यान्वयन में निरंतरता और निश्चिंतता सुनिश्चित होती है। बहुपक्षीय समझौते की पुष्टि हो जाने से भारत के मौजूदा कर संधि पत्रों में संशोधन के जरिए बीईपीएस संबंधी परिणामों पर त्वरित अमल संभव हो जाएगा।