केंद्रीय वित्त मंत्री श्री पीयूष गोयल ने 1 फरवरी, 2019 को संसद में अंतरिम बजट 2019-20 पेश किया। अंतरिम बजट 2019-20 की मुख्य बातें हैं:
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान): छोटे और सीमांत किसानों को निश्चित आय सहायता उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) की शुरूआत की है। इस योजना के तहत 2 हेक्टेयर तक भूमि की जोत वाले किसान परिवारों को 6,000 रुपये प्रति वर्ष की दर से प्रत्यक्ष आय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए बजट में 75 हजार करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2019-20 के लिए) तथा 20 हजार करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2018-19 का संशोधित अनुमान) के आवंटन का प्रावधान किया गया है। भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित इस योजना में 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसान परिवारों को 2,000 रुपये प्रत्येक तीन समान किस्तों में सीधे उनके बैंक खातें में भेजा जाएगा। इस कार्यक्रम को 1 दिसंबर, 2018 से प्रभावी माना जाएगा और इस अवधि की पहली किस्त का भुगतान 31 मार्च, 2019 तक कर दिया जाएगा।
- अलग से मत्स्य पालन विभाग: मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के बारे में सतत ध्यान केंद्रित करने के लिए सरकार ने अलग से मत्स्य पालन विभाग का सृजन करने का निर्णय लिया है। इस प्रयास के माध्यम से सरकार इस क्षेत्र पर निर्भर लगभग 1.45 करोड़ लोगों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए 7 प्रतिशत से अधिक वृद्धि करना चाहती है।
- किसानों के लिए 2 प्रतिशत ब्याज छूट: किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ऋण लेकर पशुपालन और मत्स्य पालन की गतिविधियां कर रहे किसानों के लिए 2 प्रतिशत ब्याज छूट का लाभ किया जाएगा। इसके अलावा ऋण का समय पर पुनर्भुगतान करने पर उन्हें 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज छूट भी दी जाएगी।
- राष्ट्रीय कामधेनू आयोग: इस वर्ष में ही राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए आवंटन 750 करोड़ रुपये किया गया है। राष्ट्रीय कामधेनू आयोग की स्थापना की घोषणा की गई है। इससे गाय संसाधनों का सतत अनुवांशिक उन्नयन करने और गायों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह आयोग गायों के लिए कानूनों और कल्याण योजना को प्रभावी रूप से लागू का काम भी देखेगा।
- प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन: असंगठित क्षेत्र के कम से कम 10 करोड़ श्रमिकों और कामगारों को पेंशन संबंधी लाभ उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन नामक नई योजना की घोषणा की गई है। अगले पांच वर्षों के अंदर यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी पेंशन योजनाओं में से एक बन जाएगी। इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त धनराशि भी प्रदान की जाएगी। इस योजना को चालू वर्ष से ही लागू किया जाएगा। ‘आयुष्मान भारत’ के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवा और ‘प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना’ के अंतर्गत प्रदान किए गए जीवन और दिव्यांगता संबंधी बीमा कवरेज के अलावा सरकार ने असंगठित क्षेत्र के उन कामगारों के लिए प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन वृहद पेंशन योजना आरंभ करने का प्रस्ताव किया है, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये या उससे कम है। इस पेंशन योजना से वे अपनी कार्यशील आयु के दौरान एक छोटी सी राशि के मासिक अंशदान से 60 वर्ष की उम्र से 3000 रुपये की निश्चित मासिक पेंशन प्राप्त कर सकेंगे। 29 वर्ष की उम्र में इस पेंशन योजना से जुड़ने वाले असंगठित क्षेत्र के कामगार को केवल 100 रुपये प्रति माह का अंशदान 60 वर्ष की उम्र तक करना होगा। 18 वर्ष की उम्र में इस पेंशन योजना में शामिल होने वाले कामगार को सिर्फ 55 रुपये प्रति माह का अंशदान करना होगा। सरकार हर महीने कामगार के पेंशन के खाते में इतनी ही राशि जमा करेगी।
- 5 लाख रुपये तक की सालाना कर : 5 लाख रुपये तक की सालाना कर योग्य आमदनी वाले व्यक्तिगत करदाताओं को अब कोई आयकर नहीं देना होगा। जिन लोगों की कुल आमदनी 6.50 लाख रुपये तक है, उन्हें भी किसी प्रकार के आयकर के भुगतान की जरूरत नहीं पड़ेगी, यदि वे भविष्य निधि, विशेष बचतों, बीमा आदि में निवेश कर लेते हैं। साथ ही 2 लाख रुपये तक के आवास ऋण के ब्याज, शिक्षा ऋण पर ब्याज, राष्ट्रीय पेंशन योजना में योगदान, चिकित्सा बीमा, वरिष्ठ नागरिकों की चिकित्सा पर होने वाले खर्च आदि जैसी अतिरिक्त कटौतियों के साथ उच्च आय वाले व्यक्तियों को भी कोई कर नहीं देना होगा। इससे स्व-नियोजित, लघु व्यवसाय, लघु व्यापारियों, वेतनभोगियों, पेंशनरों और वरिष्ठ नागरिकों सहित मध्यम वर्ग के करीब 3 करोड़ करदाताओं को करों में 18,500 करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा।
- वेतनभोगियों के लिए मानक कटौती की राशि: वेतनभोगियों के लिए मानक कटौती की राशि को मौजूदा 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये की जा रही है। इससे 3 करोड़ से अधिक वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों को 4,700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर लाभ प्राप्त होगा।
- -अपने कब्जे वाले किसी दूसरे घर पर सांकेतिक किराए पर आयकर पर छूट का अब प्रस्ताव किया गया है। फिलहाल ऐसे सांकेतिक किराए पर आयकर का भुगतान करना होता है, यदि किसी के पास अपने कब्जे में एक से अधिक घर हो।
- -बैंक/डाकघर बचतों पर अर्जित ब्याज के स्रोत पर कर कटौती को बढ़ाकर 10,000 रुपये से 40,000 रुपये
- – टीडीएस: छोटे करदाताओं को राहत देने के उद्देश्य से किराए पर कर कटौती के लिए टीडीएस को 1,80,000 रुपये से बढ़ाकर 2,40,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। सरकार घर खरीदने वाले पर जीएसटी के बोझ को कम करना चाहती है और इसी के अनुसार इस विषय पर जल्द से जल्द विचार करने और सुझाव देने के लिए जीएसटी परिषद ने मंत्रियों के एक समूह को नियुक्त करने की पहल की थी।
- राजकोषीय घाटा: वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटे को 3.4 प्रतिशत तक नीचे लाया गया, जो 7 वर्ष पहले लगभग 6 प्रतिशत था। चालू खाता घाटा इस वर्ष सकल घरेलू उत्पाद के केवल 2.5 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि 6 वर्ष पहले यह 5.6 प्रतिशत था।
- मनरेगा हेतु 60,000 करोड़ रुपये: 2019-20 के बजट अनुमानों के लिए मनरेगा हेतु 60,000 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो अतिरिक्त आवंटन किया जायेगा।
- – वित्त वर्ष 2018-19 के 15,500 करोड़ रुपये की तुलना में 2019-20 के बजट अनुमानों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के लिए 19,000 करोड़ रुपये आवंटित किये जा रहे हैं। वर्ष 2014-18 की अवधि के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1.53 करोड़ आवासों का निर्माण किया गया।
- 21 एम्स: वर्ष 2014 में 21 एम्स संस्थानों की घोषणा के बाद से देश में 14 एम्स संस्थान या तो संचालित हैं अथवा स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने हरियाणा में एक नये -22वें एम्स संस्थान की स्थापना की भी घोषणा की।
- समेकित बाल विकास योजना के लिए आवंटन को 2018-19 के संशोधित अनुमान के 23,357 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2019-20 के बजटीय अनुमान में 27,584 करोड़ रुपये किया जा रहा है।
- अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए आवंटन में महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है। अनुसूचित जाति के लिए 2018-19 के बजट अनुमान में 56,619 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, बाद में संशोधित अनुमान में इसे बढ़ाकर 62,474 करोड़ रुपये किया गया। वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में इसे बढ़ाकर 76,801 करोड़ रुपये किया जा रहा है, जो 2018-19 के बजट अनुमान की तुलना में 35.6 प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है। अनुसूचित जनजातियों के लिए भी वर्ष 2019-20 के बजटीय अनुमान में यह धनराशि 39,135 करोड़ रुपये थी, जो 28 प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है।
- कल्याण विकास बोर्ड का गठन: पहुंच से वंचित गैर-अधिसूचित, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों के लाभ के लिए सामाजिक न्यास एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत विशेष रणनीतियां तैयार करने के लिए एक कल्याण विकास बोर्ड का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के तहत एक समिति भी गठित की जाएगी, जो गैर-अधिसूचित, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू समुदायों की पहचान के कार्य को पूरा करेगी।
- उज्जवला योजना: उज्जवला योजना के तहत 8 करोड़ मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने का लक्ष्य था। इसमें 6 करोड़ से अधिक कनेक्शन दिए जा चुके हैं और बकाया मुफ्त कनेक्शन भी अगले वर्ष तक दे दिये जायेंगे।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम: नेशनल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी पोर्टल को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में जल्दी ही विकसित किया जाएगा।
- उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग: औद्योगिकी नीति और संवर्धन विभाग को अब उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग का नया नाम दिया जाएगा।
- हवाई यातायात: पिछले 5 वर्षों के दौरान घरेलू विमान यात्रियों की संख्या दोगुनी हुई है। इससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजित किए जा रहे हैं। संचालित हवाई अड्डों की संख्या 100 से अधिक हो गई है। सिक्किम में पेकयोंग हवाई अड्डा शुरू हो गया है। अरूणाचल प्रदेश अभी हाल में हवाई यातायात मानचित्र पर आया है और मेघालय, त्रिपुरा तथा मिजोरम पहली बार देश के रेल मानचित्र पर आए हैं।
- भारतीय रेल के लिए बजट: भारतीय रेल के लिए बजट में 64,587 करोड़ रुपये (2019-2020 बजट अनुमान) के पूंजीगत सहयोग का प्रस्ताव किया गया है। रेल का कुल पूंजीगत परिव्यय कार्यक्रम 1,58,685 करोड़ रुपये का है। वित्त और रेल मंत्री ने घोषणा की कि परिचालन अनुपात 2017-18 के 98.4 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 (संशोधित अनुमान) में 96.2 प्रतिशत और 2019-20 (बजट अनुमान) में 95 प्रतिशत होने का अनुमान जताया गया है।
- फिल्मों की शूटिंग सुनिश्चित करने के लिए एकल खिड़की : मनोरंजन उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फिल्मों की शूटिंग सुनिश्चित करने के लिए एकल खिड़की मंजूर की सुविधा भारतीय फिल्म निर्माताओं को भी दी जाएगी, जो केवल विदेशी फिल्म निर्माताओं को ही उपलब्ध है।
- पहली बार 1.06 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न: अगले पांच वर्षों में पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है और इसके बाद अगले आठ वर्षों में दस ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा है। वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष करों के संग्रह में 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और कर आधार भी बढ़ गया है, क्योंकि वित्त वर्ष 2017-18 में पहली बार 1.06 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किए हैं, जो मुख्यत: विमुद्रीकरण के कारण संभव हुआ है।
- समग्र व्यय: कुल मिलाकर समग्र व्यय वर्ष 2018-19 के संधोधित अनुमान के 24,57,235 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में 27,84,200 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगा। इसमें 3,26,965 करोड़ रुपये अथवा लगभग 13.30 प्रतिशत की वृद्धि होगी। यह महंगाई की कम दर को देखते हुए अपेक्षाकृत ज्यादा वृद्धि को दर्शाता है। वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- राजकोषीय घाटा: राजकोषीय घाटा समेकन कार्यक्रम के पूरा हो जाने के बाद सरकार अब ऋण समेकन पर फोकस करेगी। राजकोषीय घाटे के 3 प्रतिशत के अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना बरकरार रखा है, जिसे वर्ष 2020-21 तक हासिल किया जाएगा। वर्ष 2017-18 में भारत का ऋण – जीडीपी अनुपात 46.5 प्रतिशत था। एफआरबीएम अधिनियम में यह उल्लेख किया गया है कि भारत सरकार के ऋण – जीडीपी अनुपात को वर्ष 2024-25 तक घटाकर 40 प्रतिशत के स्तर पर लाया जाना चाहिए।