भारत और सिंगापुर के बीच फिन टैक पर एक संयुक्त कार्य समूह

  • केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 24 अक्टूबर 2018 को भारत और सिंगापुर के बीच फिन टैक पर संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) गठित करने पर जून, 2018 में हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से अपनी मंजूरी दे दी है।
  • भारत और सिंगापुर के बीच फिन टैक पर संयुक्त कार्य समूह का गठन दोनों देशों के बीच फिन टैक के क्षेत्र में सहयोग के लिए किया गया है।
  • भारत और सिंगापुर के बीच सहयोग से दोनों देशों को एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेसेज (एपीआई), रेग्यूलेटरी सैंडबॉक्स, भुगतान में सुरक्षा और डिजिटल नगद प्रवाह, इलैक्ट्रॉनिक हस्तांतर के लिए रुपे-नेटवर्क (एनईटीएस) के समेकन, यूपीआई फास्ट पेमेंट लिंक, आसियान क्षेत्र में आधार स्टैक और ई-केवाईसी तथा नियमों में सहयोग, वित्तीय बाजारों और बीमा क्षेत्र तथा सैंडबॉक्स मॉडलों के लिए समाधानों के विकास के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने में लाभ मिलेगा।

जेडब्ल्यूजी का क्षेत्र और कार्य सीमाएं:

  1. सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली का आदान-प्रदान
  • सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों के आदान-प्रदान के साथ नियामक संपर्क में सुधार के लिए
  1. फिन टैक से जुड़ी नीतियों और नियामकों पर अनुभवों के आदान-प्रदान को बढ़ावा;
  2. फिन टैक फॉर्मों और परिसंपत्तियों द्वारा बिना किसी भेदभाव के आकड़ों के इस्तेमाल से जुड़े मानकों को तैयार करने को प्रोत्साहन।
  3. साइबर सुरक्षा, वित्तीय जालसाझी के आस-पास दुनिया में उत्पन्न नए खतरों सहित नियामक संस्थानों में उपयुक्त अधिकारियों में क्षमता निर्माण की शुरूआत।
  1. सहयोग को बढ़ावा
  • भारत और सिंगापुर में वित्तीय टेक्नोलॉजी उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए
  1. फिन टैक क्षेत्र में फॉर्मों के बीच सहयोग को बढ़ावा;
  2. व्यावसायिक/वित्तीय क्षेत्र के लिए फिन टैक समाधान के विकास को बढ़ावा;
  3. दोनों देशों की उपयुक्त नीतियों के अनुरूप, फिन टैक में सिंगापुर और भारत के बीच उद्यमिता/स्टार्ट-अप प्रतिभा के सहयोग को प्रोत्साहन।
  1. अंतर्राष्ट्रीय मानकों का विकास
  • (ए) एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेसेज (एपीआई) एंड स्टैंडर्ड के अंतर्राष्ट्रीय संस्करण के गठन को प्रोत्साहन, जो भारत और सिंगापुर में सार्वजनिक प्रणाली में तैयार एपीआई के साथ अंतर संचालनहै।
  1. डिजिटल पहचान का इस्तेमाल कर रहे निवासियों के सीमा-पार सत्यापन और इलैक्ट्रॉनिक नो-योर-कस्टमर (ई-केवाईसी) को समक्ष बनाना;
  2. एकीकृत भुगतान इंटरफेस (डीपीआई) और तेजी से तथा सुरक्षित हस्तांतरण (फास्ट) डिजिटल फंड हस्तांतरण मंचों के बीच भुगतान संपर्क-सहयोग को समक्ष बनाना।
  3. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) और इलैक्ट्रॉनिक हस्तांतरण नेटवर्क (एनईटीएस) भुगतान नेटवर्कों के बीच संपर्कों के जरिएरुपे क्रेडिट/डेविड कार्डों पर क्रॉस लर्निंग को समक्ष बनाना;
  4. डीपीआई और त्वरित प्रतिक्रिया (क्यूआर) कोड आधारित भुगतान स्वीकृति को समक्ष बनाना; और
  5. ई-हस्ताक्षर, एक्रॉस बोर्डर्स के जरिए डिजिटल हस्ताक्षर के इस्तेमाल को समक्ष बनाना।
  • (बी) भारत और सिंगापुर के बीच निम्न क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहनः
  1. डिजिटल शासन;
  2. वित्त्तीय समावेशन; और
  3. आसियान फिनेंशियल इनोवेशन नेटवर्क (एएफआईएन) एजेंडा में सहभागिता।

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *