- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जुलाई 2019 में जारी ‘बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2019’ (Multidimensional Poverty Index (MPI) के अनुसार वर्ष 2006 से 2016 के बीच भारत में 27.1 करोड़ (271 मिलियन) लोगों को गरीबी से बाहर लाया गया जो कि बड़ी उपलब्धि है।
- सूचकांक के मुताबिक संपदा, रसाई ईंधन, स्वच्छता एवं पोषण में सुधार के कारण ऐसा संभव हो पाया है।
- वर्ष 2005-06 में भारत में 640 मिलियन (64 करोड़) लोग बहुआयामी गरीबी में जीवन निर्वाह कर रहे थे जो कि कुल आबादी का 55.1 प्रतिशत था। वर्ष 2015-16 में भारत में बहुआयामी गरीबी लोगों की संख्या 369 मिलियन (36.9) रह गई अर्थात कुल आबादी का 27.9 प्रतिशत।
- भारत के राज्यों में झारखंड में मल्टीडायमेंसनल पॉवर्टी 2005-06 के 74.9 प्रतिशत से गिरकर 2015-16 46.5 प्रतिशत रह गयी।
- रिपोर्ट के अनुसार जिन 101 देशों का अध्ययन किया गया उनमें 1.3 अरब लोग बहुआयामी गरीबी में जीवन बसर कर रहे हैं। बहुआयामी गरीबी में गरीबी को केवल आय के आधार पर नहीं बल्कि स्वास्थ्य, कार्य की खराब दशा, हिंसा का खतरा जैसे संकेतकों को भी आधार के रूप में इस्तेमाल किया गया है।
- सूचकांक में विश्व के उन 10 देशों की पहचान की गई जिनमें गरीबी कम करने के लिए प्रयास किए गए। इनमें भारत एवं इंडोनेशिया में एमपीआई वैल्यू में सर्वाधिक तेजी से कमी आई है। भारत की एमपीआई (मल्टीडायमेंसनल पॉवर्टी इंडेक्स) 2005-06 के 0.283 से गिरकर 2015-16 में 0.123 रह गई।
- बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2019 यूएनडीपी तथा ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्युमैन डेवपलमेंट एनिशिएटिव (ओपीएचआई) द्वारा 11 जुलाई, 2019 को जारी किया गया था।
- सूचकांक में स्वास्थ्य (बाल मृत्यु दर), शिक्षा व रहन-सहन को आधार बनाया गया है।