- ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 में विश्व के 119 देशों में भारत की रैंकिंग 103 है। सूचकांक में भारत के भूख के स्तर को ‘गंभीर’ बताया गया है।
- विगत वर्ष के मुकाबले भारत की रैंकिंग में तीन अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि सूचकांक कहता है कि उसके परिणाम को वर्ष दर वर्ष तुलनीय नहीं है वरन् यह तुलनीय आंकड़ों के लिए कुछ संदर्भ वर्ष उपलब्ध कराता है। 2018 की रिपोर्ट वर्ष 2013-2017 के बीच के प्रदर्शन पर आधारित है।
- यह सूचकांक वेल्थहंगरलाइफ व कसंर्न वर्ल्डवाइड द्वारा जारी किया गया है। विगत वर्ष तक इंटरनेशनल फुड पॉलिसी रिसर्च भी इससे जुड़ा हुआ था।
- भारत का स्कोर 31.1 है जो कि वर्ष 2000 की तुलना में 7.7 कम है (जितना अधिक स्कोर होता है स्थिति उतनी ही गंभीर होती है)। इस दृष्टिकोण से यह सुधार हैं परंतु वैश्विक औसत 20.9 से अभी भी स्कोर अधिक है जो चिंताजनक है।
- सूचकांक के मुताबिक भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक पांच बच्चों में एक बच्चा कम क्षीण है। इसका मतलब है कि लंबाई के हिसाब से उनका वजन काफी कम है। इस मामले में विश्व का एकमात्र देश जो भारत से नीेचे है वह है गृहयुद्ध ग्रस्त दक्षिण सूडान।
- वैश्विक भूख सूचकांक चार संकेतकों पर विभिन्न देशों की रैंकिंग निर्धारित करता हैः
- अल्प पोषण (undernourishment): अल्पपोषित आबादी व अपर्याप्त कैलोरी
- बाल कमजोरी (child wasting): पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में लंबाई के हिसाब से कम वजन
- बौनापन(child stunting): पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का उम्र के हिसाब से कम लंबाई
- शिशु मृत्यु दर (child mortality)
- संदर्भ वर्ष की तुलना में भारत ने तीन संकेतकों में सुधार दिखाया है। अल्पपोषित आबादी वर्ष 2000 के 18.2 प्रतिशत से कम होकर वर्ष 2018 में 14.8 प्रतिशत रह गई है। इसी अवधि में बाल मृत्यु दर 9.2 प्रतिशत से कम होकर 4.3 प्रतिशत रह गई है। बाल कमजोरी भी 54.2 प्रतिशत से कम होकर 38.4 प्रतिशत रह गई।
- परंतु बाल कमजोरी इसी अवधि में 17.1 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत (2018) हो गई। दक्षिण सूडान में यह 28 प्रतिशत है।
- विश्व में भूखे लोगों की कुल संख्या बढ़कर 821 मिलियन हो गई है।
- सूचकांक में सर्वोच्च रैंकिंग बेलारूस की है जबकि मध्य अफ्रीकी गणराज्य (सीईआर) 119वें स्थान पर है।