5वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त 2019 को पूरे देश में विभिन्न राज्यों में अवस्थित राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी) के 16 परिसरों और बुनकर सेवा केंद्रों में मनाया गया।
इस दौरान हथकरघा मेला एवं प्रदर्शनी, कार्यशालाएं और पैनल परिचर्चाएं आयोजित की गईं तथा एनआईएफटी के गांधीनगर एवं कोलकाता परिसरों में हथकरघा उत्पादों के लिए विशेष स्टॉल लगाए गए।
भुवनेश्वर में मुख्य कार्यक्रम
मुख्य कार्यक्रम ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता राज्य की उद्योग, हथकरघा, हस्तशिल्प एवं वस्त्र मंत्री पद्मिनी दियान ने की। वस्त्र सचिव श्री रवि कपूर इस अवसर पर सम्मानित अतिथि थे। भारत के बुनकरों की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में बसती है और इनमें से अधिकांश महिलाएं हैं। भुवनेश्वर में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त बनाना है।
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस देश के हथकरघा बुनकरों का सम्मान करने और भारत के हथकरघा उद्योग पर रौशनी डालने के लिए हर साल 7 अगस्त को मनाया जाता है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस देश के सामाजिक आर्थिक विकास में हथकरघे के योगदान और बुनकरों की आमदनी में वृद्धि करने पर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करता है।
देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में हथकरघा उद्योग के महत्व के बारे में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने जुलाई, 2015 में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस घोषित किया था।
7 अगस्त को ही क्यों?
7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में इसलिये चुना गया, क्योंकि ब्रिटिश सरकार द्वारा किए जा रहे बंगाल के विभाजन का विरोध करने के लिए 1905 में इसी दिन कलकत्ता टाऊन हॉल में स्वदेशी आंदोलन आरंभ किया गया था। इस आंदोलन का उद्देश्य घरेलू उत्पादों और उत्पादन प्रक्रियाओं में नई जान डालना था।
प्रथम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 7 अगस्त, 2015 को चेन्नई में मद्रास विश्वविद्यालय की शताब्दी के अवसर पर किया था।