- मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसद् की प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) की प्रारूप रिपोर्ट के अनुसार सकल घरेलू उत्पादन के आकलन की मौजूदा पद्धति आर्थिक गतिविधियों की संपूर्ण कहानी नहीं कहती। हालांकि इस सुझाव को स्वीकार नहीं किया गया।
- कमेटी के अनुसार जीडीपी की मौजूदा आकलन पद्धति प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण को शामिल नहीं करती। इस बिंदु को भारत के पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने भी उठाया था। जीडीपी में कोई भी वृद्धि प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर आधारित होती है पर जीडीपी आकलन के दौरान उनकी उपयोगिता व उनके क्षरण को मद्देनजर नहीं रखा जाता।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जीडीपी आकलन में परिवार को चलाने तथा खाता रख-रखाव में महिलाओं के आर्थिक योगदान को भी समाहित नहीं किया जाता।
- कमेटी के अनुसार जीडीपी का मौजूदा आकलन इस बात की भी गणना नहीं करता कि जीडीपी में बढ़ोतरी से खुशहाली में बढ़ोतरी हुई है या नहीं।
- उपर्युक्त के अलावा प्रौद्योगिकी में सुधार के द्वारा उत्पादन की गुणवत्ता में बदलाव या आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस का रोजगार पर प्रभाव भी मौजूदा जीडीपी आकलन का हिस्सा नहीं है।