आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 24 अक्टूबर 2018 को विशेष मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि (एक्वाकल्चर) अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ-Fisheries and Aquaculture Infrastructure Development Fund: FIDF)) बनाने को अपनी मंजूरी दे दी है।
- इस मंजूरी के तहत कोष में अनुमानित राशि 7,522 करोड़ रुपये होगी जिनमें से 5266.40 करोड़ रुपये प्रमुख ऋणदाता निकायों (एनएलई) द्वारा जुटाये जायेंगे, जबकि इसमें लाभार्थियों का योगदान 1316.6 करोड़ रुपये का होगा और भारत सरकार से बजटीय सहायता के रूप में 939.48 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और सभी अनुसूचित बैंक (अब से यहां इसे बैंक लिखा जायेगा) इसके लिए प्रमुख ऋणदाता निकाय होंगे।
लाभ:
- समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन दोनों ही क्षेत्रों में मत्स्य पालन से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाएं स्थापित की जायेंगी।
- ‘नीली क्रांति’ के तहत वर्ष 2020 तक के लिए निर्धारित 15 मिलियन टन का लक्ष्य प्राप्त करने और 8-9 प्रतिशत की सतत वृद्धि दर हासिल करने के लिए मछली उत्पादन बढ़ाया जायेगा। इसके बाद मछली उत्पादन को वर्ष 2022-23 तक बढ़ाकर लगभग 20 एमएमटी के स्तर पर पहुंचाया जायेगा।
- 9.40 लाख से भी ज्यादा मछुआरों/मत्स्य पालन से जुड़े लोगों के साथ-साथ मत्स्य पालन एवं सम्बद्ध गतिविधियों के अन्य उद्यमियों के लिए रोजगार अवसर सुनिश्चित होंगे।
- मत्स्य पालन से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की स्थापना एवं प्रबंधन में निजी निवेश आयेगा।
- नई प्रौद्योगिकियां अपनायी जायेंगी।
- एफआईडीएफ से राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों एवं राज्यों के निकायों, सहकारी समितियों, विभिन्न लोगों और उद्यमियों, इत्यादि को रियायती वित्त प्राप्त होगा जिससे वे मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास से जुड़ी चिन्ह्ति निवेश गतिविधियां पूरी कर सकेंगे। एफआईडीएफ के तहत ऋण 2018-19 से लेकर 2022-23 तक के पांच वर्षों की अवधि के दौरान दिये जायेंगे और अधिकतम अदायगी 12 वर्षों की अवधि में होगी जिसमें मूलधन के भुगतान पर दो वर्षों का ऋण स्थगन भी शामिल है