- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम बैंक) के पुनर्पूंजीकरण को मंजूरी दे दी है।
- केंद्र सरकार के मुताबिक भारतीय निर्यात-आयात बैंक में नई पूंजी लगाने के लिए भारत सरकार 6,000 करोड़ रुपये के पुनर्पूंजीकरण बांड जारी करेगी।
- वित्त वर्ष 2018-19 में 4,500 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2019-20 में 1,500 करोड़ रुपये की दो किस्तों के जरिए इक्विटी लगाई जाएगी।
- कैबिनेट ने एक्जिम बैंक की अधिकृत पूंजी को 10,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपये करने की मंजूरी दे दी है। पुनर्पूंजीकरण बांड सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को जारी किए जाएंगे।
निर्णय के प्रमुख प्रभाव
- एक्जिम बैंक भारत के लिए प्रमुख निर्यात ऋण एजेंसी है। एक्जिम बैंक में पूंजी लगाने से यह पूंजी पर्याप्तता अनुपात बढ़ाने और इसके साथ ही ज्यादा क्षमता के साथ भारतीय निर्यात के लिए आवश्यक सहायता देने में समर्थ हो जाएगा।
- नई पूंजी लगाने से भारतीय कपड़ा उद्योगों को आवश्यक सहायता देने, रियायती वित्त योजना (सीएफएस) में संभावित बदलावों, भारत की सक्रिय विदेश नीति और रणनीतिक मंशा को ध्यान में रखते हुए भविष्य में नई ऋण रेखा (एलओसी) की संभावनाओं जैसी नई पहलों को बढ़ावा मिलेगा।
एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया के बारे में
- एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया (एक्जिम बैंक) की स्थापना एक संसदीय अधिनियम के तहत वर्ष 1982 में भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के वित्त पोषण, इसे सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के लिए शीर्ष वित्तीय संस्थान के रूप में की गई थी।
- यह बैंक मुख्यतः भारत से निर्यात के लिए ऋण उपलब्ध कराता है।
- भारत से विकासात्मक एवं बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं, उपकरणों, वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के लिए विदेशी खरीदारों और भारतीय आपूर्तिकर्ताओं को आवश्यक सहायता देना भी इसमें शामिल है। इसका नियमन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किया जाता है।