- केंद्रीय मंत्रिमंडल कीआर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 1 दिसंबर, 2019 से 30 नवंबर, 2020 तक इथेनॉल आपूर्ति वर्ष के दौरान आगामी चीनी उत्पादन मौसम 2019-20 के लिए ईपीबी कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न कच्चे मालों से निर्मित इथेनॉल की ऊंची कीमत तय करने को मंजूरी दी है। सी हेवी मोलेस तरीके से प्राप्त इथेनॉल की कीमत 43.46 रूपये प्रतिलीटर से बढ़कर 43.75 रूपये प्रतिलीटर कर दी गयी है । बी हेवी मोलेस तरीके से प्राप्त इथेनॉल की कीमत 52.43 रूपये प्रतिलीटर से बढ़कर 54.27 रूपये प्रतिलीटर कर दी गयी है ।गन्ना रस/चीनी/चीनी सिरप तरीके से प्राप्त इथेनॉल की कीमत 59.48 रूपये प्रतिलीटर तय की गई है। इसके अलावा जीएसटी और परिवहन शुल्क भी देय होंगे। तेल कंपनियों को वास्तविक परिवहन शुल्क तय करने का सुझाव दिया गया है, ताकि इथेनॉल का लंबी दूरी तक परिवहन हतोत्साहित न हो।
- सभी गन्ना आधारित तरीकों से प्राप्त इथेनॉल की खरीद के लिए अधिक कीमत की पेशकश के कारण, आंशिक तौर पर गन्ना जूस तरीके और शत प्रतिशत गन्ना जूस तरीके के साथ-साथ पहली बार इथेनॉल के उत्पादन के लिए चीनी और चीनी सिरप की अनुमति देने से, ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथेनॉल की उपलब्धता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की आशा है। पेट्रोल में अधिक मात्रा में इथेनॉल के मिश्रण के कई फायदे हैं, जैसे- आयात पर निर्भरता में कमी, कृषि क्षेत्र को समर्थन, अधिक पर्यावरण अनुकूल ईंधन, कम प्रदूषण और किसानों के लिए अतिरिक्त आय।
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम
- सरकार इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम ( Ethanol Blended Petrol (EBP) Programme ) को लागू करती रही है, जिसके तहत तेल कंपनियों द्वारा अधिकतम 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की बिक्री की जाती है। यह कार्यक्रम 1 अप्रैल, 2019 से केन्द्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह को छोड़कर पूरे भारत में विस्तारित किया गया है, ताकि वैकल्पिक और पर्यावरण अनुकूल ईंधनों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिले। इस क्रियाकलाप से ऊर्जा संबंधी जरूरतों के लिए आयात पर निर्भरता घटेगी और कृषि क्षेत्र को बल मिलेगा।
- सरकार ने 2014 से इथेनॉल की निर्धारित कीमत (Administrative price) अधिसूचित करती रही है। पहली बार 2018 के दौरान, सरकार द्वारा इथेनॉल के उत्पादन के लिए व्यवहृत कच्चे माल के आधार पर इथेनॉल की कीमत घोषित की गई थी। इन निर्णयों से इथेनॉल की आपूर्ति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। इसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र कीतेल कंपनियों द्वारा इथेनॉल की खरीद इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 2018-19 में अनुमानित 200 करोड़ लीटर से अधिक हो गई है।
- निरंतर चीनी के अतिरिक्त उत्पादन से चीनी की कीमत पर दवाब पड़ रहा है। इसके बाद, किसानों के भुगतान के लिए चीनी उद्योग की कम क्षमता के कारण गन्ना किसानों की बकाया राशि बढ़ गई है। सरकार ने गन्ना किसानों की बकाया राशि में कमी लाने के लिए कई निर्णय किए हैं।