- इंडियन बैंक एसोसिएशन के तत्वावधान में भारतीय बैंकों ने ‘इंटर क्रेडिटर एग्रीमेंट’ (Inter-Creditor Agreement: ICA) पर 23 जुलाई, 2018 को हस्ताक्षर किए।
- इसके तहत बैंकों के कंस्टोरियम में से सबसे बड़ा कर्जदाता को दबाव वाली संपदा के लिए समाधान योजना बनाने की शक्ति प्रदान की गई है।
- इस कंस्टोरियम में देश के 24 बैंक शामिल हैं जिसे ‘सशक्त’ नाम दिया गया है।
- आईसीए उन सभी कॉर्पोरेट उधार लेने वालों पर लागू होती है जिन्होंने कंस्टोरियम कर्ज या बहु-बैंकिंग व्यवस्था के तहत 50 करोड़ रुपए या उससे अधिक का कर्ज लिया है।
- यदि 66 प्रतिशत (दो तिहाई) कर्जदाता रिसोल्युशन योजना पर सहमत हो जाते हैं तो यह सभी कर्जदातों पर बाध्यकारी होगा।
- एनपीए संकट झेल रहे बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सख्त निर्देश के पश्चात सुनील मेहता कमेटी ने बैंकों को आापस में इस तरह के समझौता करने की सिफारिश की थी।
- गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी 2018 में एनपीए समाधान के पूर्व के सभी मेकेनिज्म को समाप्त कर एनपीए संपदा से निपटने के उपाय करने का निर्देश दिया था भले ही डिफॉल्ट एक दिन ही क्यों न हो।
- बैंकों को इसके लिए 180 दिन का समय दिया गया था। यदि 180 दिनों के भीतर उस खाते का समाधान नहीं किया जाता है तो दिवालीया प्रक्रिया आरंभ करने के निर्देश दिए गए।
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