- अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की हाल में प्रकाशित ‘भारत मजदूरी रिपोर्ट’ (India Wage Report) के अनुसार आर्थिक सुधार के उपरांत दो दशकों में दैनिक औसत मजदूरी (Real average daily wages) दोगुणी हो गई है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार 1993-94 में भारत में दैनिक औसत मजदूरी 128 रुपए थी जो वर्ष 2011-12 में बढ़कर 247 रुपए हो गई।
- औसत दैनिक मजदूरी में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि इस तुलनात्मक वृद्धि के बावजूद शहरों में औसत दैनिक मजदूरी ग्रामीणक्षेत्रों की तुलना में दोगुणा से अधिक ही है। 2011-12 में शहरी क्षेत्रों में औसत दैनिक मजदूरी 384 रुपए थी जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में औसत दैनिक मजदूरी 175 रुपए थी।
- हालांकि दैनिक मजूदरी दोगुणी होने के बावजूद निम्न मजदूरी एवं मजदूरी में असमानता बड़ी चुनौतियां हैं।
- आईएलओ के अनुसार 2009-10 में एक तिहाई मजदूरी करने वाले श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान किया गया। इनमें 41 प्रतिशत अनौपचारिक श्रमिक तथा 16 प्रतिशत वेतनभोगी मजदूर शामिल हैं।
- औसत दैनिक मजदूरी में लैंगिक अंतराल यानी जेंडर गैप 1993-94 के 48 प्रतिशत से घटकर 34 प्रतिशत हो गई, इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय माानक से कहीं ऊपर ही है। अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली एक महिला श्रमिक को न्यूनतम 104 रुपए दैनिक का भुगतान किया गया।
- हालांकि दैनिक मजदूरी में वृद्धि की तुलना में औसत श्रम उत्पादकता (प्रति श्रमिक जीडीपी के द्वारा मापन) में तेजी से वृद्धि हुयी।
- अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने न्यूनतम मजदूरी कानूनों के क्रियान्वयन का सख्ती से पालन करने तथा सामूहिक सौदेबाजी ढ़ांचे को मजबूत करने की सिफारिश की है।
- भारत में औसत दैनिक मजदूरी
वर्ष 1994 128 रुपए
वर्ष 2005 169 रुपए
वर्ष 2012 247 रुपए - औसत दैनिक मजदूरी में लैंगिक अंतराल
वर्ष 1994 48 प्रतिशत
वर्ष 2005 45 प्रतिशत
वर्ष 2012 34 प्रतिशत
- भारत में औसत दैनिक मजदूरी