कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और सेबी ने नियामक निगरानी को मजबूत बनाने के लिए समझौता

  • कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के बीच एक औपचारिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर 7 जून 2019 को हस्ताक्षर किए गए। ऐसा दो नियामक संगठनों के बीच डेटा के आदान-प्रदान के लिए किया गया है।
  • यह समझौता ज्ञापन अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले कॉरपोरेट धोखाधड़ी मामलों के संदर्भ में निगरानी की बढ़ती हुई आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया गया है। जिस प्रकार निजी क्षेत्र आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है उसी प्रकार मजबूत कॉरपोरेट प्रशासन तंत्र समय की जरूरत बन गया है।
  • इस समझौता ज्ञापन से सेबी और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के बीच डेटा और सूचनाओं को स्वमेव और नियमित रूप से साझा करने में मदद मिलेगी। इससे निलंबित कंपनियों, सूची से बाहर की गई कंपनियों, सेबी के शेयर धारक पैटर्न के बारे में विशिष्ट जानकारी साझा करने के साथ-साथ कॉर्पोरेट्स द्वारा रजिस्ट्रार के समक्ष दायर वित्तीय विवरणों, शेयरों के आवंटन की रिटर्न, कॉरपोरेट से संबंधित ऑडिट रिपोर्टों से संबंधित विशिष्ट विवरणों को साझा करने में मदद मिलेगी।
  • इस समझौता ज्ञापन से नियामक उद्देश्यों के लिए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और सेबी में सहज संबंध सुनिश्चित होंगे। डेटा के नियमित आदान-प्रदान के अलावा सेबी और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय किसी भी प्रकार की जांच, निरीक्षण और अभियोजन के उद्देश्य के लिए अपने डेटाबेस में उपलब्ध कोई भी जानकारी का एक-दूसरे के अनुरोध पर आदान-प्रदान कर सकेंगे।
  • यह समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए जाने की तारीख से लागू हो गया है, जो कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और सेबी की सतत पहल है। जो मौजूदा तंत्र के माध्यम से पहले ही सहयोग कर रहे हैं। इस पहल के लिए डेटा आदान-प्रदान परिचालन समूह का भी गठन किया गया है। डेटा आदान-प्रदान स्थिति की समीक्षा के लिए इस समूह की समय-समय पर बैठकें आयोजित होंगी। जिनमें डाटा साझा करने के तंत्र में और सुधार करने तथा प्रभावशीलता लाने के बारे में भी विचार-विमर्श किया जाएगा। यह समझौता ज्ञापन दोनों नियामकों के बीच सहयोग और तालमेल के नए युग की शुरुआत है।

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