केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने 12-13 नवंबर, 2018 को सिंगापुर में आयोजित आरसीईपी (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी-Regional Comprehensive Economic Partnership: RCEP) की सातवीं अंतर-सत्र मंत्रिस्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
- सिंगापुर के व्यापार एवं उद्योग मंत्री श्री चान चुन सिंग ने इस बैठक की अध्यक्षता की क्योंकि सिंगापुर ही इस वर्ष आसियान की अध्यक्षता संभाल रहा है।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी)
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) एक मेगा या व्यापक क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौता है जिसके लिए 16 देशों के बीच वार्ताएं जारी हैं। इन 16 देशों में आसियान के 10 देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड एवं वियतनाम) और आसियान एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) के छह साझेदार देश यथा ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
- अब तक छह मंत्रिस्तरीय बैठकें, सात अंतर-सत्रात्मक मंत्रिस्तरीय बैठकें और तकनीकी स्तर पर व्यापार वार्ता समिति के 24 दौर आयोजित किए जा चुके हैं।
- व्यापार वार्ता समिति के अध्यक्ष श्री पाक ईमान पैमबैग्यो ने आरसीईपी से जुड़ी वार्ताओं की ताजा स्थिति पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी और लंबित मुद्दों पर मंत्रिस्तरीय मार्गदर्शन किए जाने की गुजारिश की। मंत्रियों ने यह माना कि संबंधित वार्ताओं में अब तक हुई अच्छी प्रगति हुई है। इन वार्ताओं के तहत अकेले इसी वर्ष पांच अध्यायों का सफल समापन हो चुका है।
- अब तक कुल मिलाकर इन सात अध्यायों का सफल समापन हुआ है (i) आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग (ii) छोटे एवं मझोले उद्यम (iii) सीमा शुल्क से जुड़ी प्रक्रियाएं एवं व्यापार को सुविधाजनक बनाना (iv) सरकारी खरीद (v) संस्थागत प्रावधान (vi) मानक, तकनीकी नियमन एवं अनुरूप आकलन प्रक्रियाएं (एसटीआरएसीएपी) और (vii) स्वच्छता (सैनिटरी) एवं पादप स्वच्छता (फाइटोसैनिटरी) यानी एसपीएस।
- मंत्रियों ने ‘वर्षांत प्रदेय वस्तुओं के पैकेज’ की दिशा में हुई प्रगति का आकलन किया।
- वाणिज्य मंत्री ने भारत के हितों का बचाव कारगर ढंग से किया और अधिकतम लचीलापन सुनिश्चित किया। एसटीआरएसीएपी और एसपीएस दोनों से ही जुड़ी वार्ताओं ने भारत विवाद निपटान व्यवस्था के उपयोग में संतुलित परिणाम हासिल करने में सफल रहा। भारत ने संस्थागत प्रावधानों से जुड़े अध्याय में ‘आम सहमति’ के सिद्धांत पर लचीलापन दर्शाया जिससे बैठक के दौरान इसके सफल समापन में मदद मिली।