केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 30 मार्च को “दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021” (National Policy for rare diseases) को स्वीकृति दे दी है।
- दुर्लभ बीमारियों पर नीति का उद्देश्य संयोजक के रूप में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गठित राष्ट्रीय संघ की सहायता से स्वदेशी अनुसंधान पर ज्यादा जोर के साथ दुर्लभ बीमारियों के उपचार की ऊंची लागत को कम करना है।
- नीति का उद्देश्य उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई) के रूप में वर्णित 8 स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से दुर्लभ बीमारियों से बचाव और उपचार के लिए तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को मजबूत बनाना भी है और सीओई निदान सुविधाओं के सुधार के लिए 5 करोड़ रुपये तक का एकमुश्त वित्तीय समर्थन भी उपलब्ध कराएगा।
- ऐसी दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए राष्ट्रीय आरोग्य निधि की अम्ब्रेला योजना के तहत 20 लाख रुपये तक के वित्तीय समर्थन के लिए प्रावधान का प्रस्ताव है, जिनके लिए एकमुश्त उपचार (दुर्लभ रोग नीति में समूह 1 के अंतर्गत सूचीबद्ध बीमारी) की जरूरत होती है। इस वित्तीय सहायता के लिए लाभार्थियों को बीपीएल परिवारों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसका लाभ 40 प्रतिशत जनसंख्या तक बढ़ाया जाएगा जो प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पात्र हैं।
- इसके अलावा, नीति में एक क्राउड फंडिंग व्यवस्था की भी कल्पनी की गई है, जिसमें कंपनियों और लोगों को दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए एक मजबूत आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से वित्तीय समर्थन देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके माध्यम से जुटाई गई धनराशि को उत्कृष्टता केन्द्रों द्वारा पहले शुल्क के रूप में दुर्लभ बीमारियों की सभी तीन श्रेणियों के उपचार के लिए उपयोग किया जाएगा और फिर बाकी वित्तीय संसाधनों को अनुसंधान के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
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