पारंपरिक अदालत प्रणालियों से अलग, विवादों के त्वरित निपटान के लिए भारत सरकार, मौजूदा कानूनों में संशोधन और नए अधिनियमों के माध्यम से वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तंत्र को बढ़ावा देने तथा मजबूत करने के लिए विधि एवं न्याय मंत्रालय ने सार्वजनिक परामर्श के लिए मध्यस्थता विधेयक का मसौदा (Draft Mediation Bill) जारी किया है।
विधेयक की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
- मसौदा विधेयक मुकदमा-पूर्व मध्यस्थता का प्रस्ताव करता है और साथ ही तत्काल राहत के लिए सक्षम न्यायिक फोरम /अदालतों के समक्ष जाने संबंधी वादियों के हितों की रक्षा भी करता है।
- मध्यस्थता समाधान समझौता (एमएसए) के रूप में मध्यस्थता के सफल परिणाम को कानून द्वारा लागू करने योग्य बनाया गया है। चूंकि मध्यस्थता समाधान समझौता पक्षों के बीच आपसी सहमति के समझौते से बाहर है, इसलिए सीमित आधार पर इसे चुनौती देने की अनुमति दी गई है।
- मध्यस्थता प्रक्रिया, मध्यस्थता की गोपनीयता की रक्षा करती है और कुछ मामलों में इसे प्रकट करने के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है।
- 90 दिनों के भीतर राज्य / जिला / तालुक कानूनी प्राधिकरणों के पास मध्यस्थता समाधान समझौते के पंजीकरण की भी सुविधा दी गयी है, ताकि उक्त समाधान के प्रमाणित रिकॉर्ड के रख-रखाव को सुनिश्चित किया जा सके।
- भारतीय मध्यस्थता परिषद की स्थापना (Mediation Council of India) का प्रावधान।
- सामुदायिक मध्यस्थता (community mediation.) की सुविधा।
मध्यस्थता विधेयक का मसौदा (Draft Mediation Bill) उद्देश्य
इसका उद्देश्य :
- घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता समझौता लागू करना,
- मध्यस्थों के पंजीकरण के लिए एक निकाय बनाना,
- सामुदायिक मध्यस्थता को प्रोत्साहित करना तथा
- ऑनलाइन मध्यस्थता को एक स्वीकार्य और लागत प्रभावी प्रक्रिया बनाना है।
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