तीसरे आर्कटिक विज्ञान मंत्रिस्तरीय (ASM3) वैश्विक मंच की बैठक

भारत आर्कटिक क्षेत्र में अनुसंधान और सहयोग पर विचार-विर्मश के लिए तीसरे आर्कटिक विज्ञान मंत्रिस्तरीय (3rd Arctic Science Ministerial: ASM3) वैश्विक मंच की बैठक में (8-9 मई, 2021) भागीदारी किया।

  • पहली दो बैठकों एएसएम1 और एएसएम 2 का क्रमश: यूएसए में 2016 और 2018 में जर्मनी में आयोजन किया गया था। आइसलैंड और जापान द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जाने वाली एएसएम3 एशिया की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक थी।
  • इस वर्ष की थीम ‘नॉलेज फॉर ए सस्टेनेबल आर्कटिक’ थी।
  • केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने हितधारकों के साथ आर्कटिक क्षेत्र में अनुसंधान, कार्य और सहयोग के लिए भारत के दृष्टिकोण और दीर्घकालिक योजनाओं को साझा किया।
  • भारत ने आर्कटिक में, यथास्थान और रिमोट सेंसिंग दोनों में अवलोकन प्रणाली में योगदान करने की अपनी योजना साझा की। भारत ऊपरी महासागर कारकों और समुद्री मौसम संबंधी मापदंडों की लंबी अवधि की निगरानी के लिए आर्कटिक में खुले समुद्र में नौबंध की तैनाती करेगा। यूएसए के सहयोग से एनआईएसईआर (नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार) उपग्रह मिशन का शुभारंभ हो रहा है।
  • एनआईएसआर का उद्देश्य उन्नत रडार इमेजिंग का उपयोग करके भूमि की सतह के परिवर्तनों के कारण और परिणामों का वैश्विक रूप से मापन करना है।
  • बैठक का आयोजन आर्कटिक क्षेत्र के बारे में सामूहिक समझ को बढ़ाने के साथ-साथ इसकी निरंतर निगरानी पर जोर देते हुए शिक्षाविदों, स्वदेशी समुदायों, सरकारों और नीति निर्माताओं सहित विभिन्न हितधारकों को इस दिशा में अवसर प्रदान करने के लिए किया गया है।

आर्कटिक परिषद

  • 2013 से, भारत को बारह अन्य देशों (जापान, चीन, फ्रांस, जर्मनी, यूके, इटली, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, स्पेन, नीदरलैंड, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया) के साथ आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।
  • आर्कटिक परिषद, आर्कटिक में सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए सहयोग, समन्वय और सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए एक उच्च-स्तरीय अंतर शासकीय फोरम है।
  • आर्कटिक परिषद के एक अंग के रूप में, भारत एक सुरक्षित, स्थिर और सुरक्षित आर्कटिक की दिशा में प्रभावी सहकारी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विचार-विमर्श में योगदान देता है।
  • पेरिस में स्वालबार्ड संधि पर हस्ताक्षर के साथ आर्कटिक के साथ भारत का जुड़ाव 1920 से है। जुलाई 2008 के बाद से, भारत के पास आर्कटिक में नॉर्वे के स्वालबार्ड क्षेत्र के न्यालेसुंड में हिमाद्री नामक एक स्थायी अनुसंधान स्टेशन है। इसने जुलाई 2014 से कांग्सजोर्डन जोर्ड में इंडआर्क नामक एक बहु-संवेदक यथास्थल वेधशाला भी तैनात की है।

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