गुजरात सरकार ने दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड और हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड के एक संयुक्त उद्यम के साथ एक बैराज परियोजना के लिए अनुबंध किया है।
भरुच में 4,167 करोड़ रुपये की भाडभूत परियोजना (Bhadbhut project) गुजरात के इस क्षेत्र में मीठे पानी की समस्याओं को हल करने के लिए है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में इस परियोजना की आधारशिला रखी। भाडभूत परियोजना के तहत नर्मदा नदी पर 1.7 किलोमीटर का बैराज बनने की योजना है जिसमे 90 गेट होंगे और यह परियोजना भाडभूत गाँव से 5 किमी दूर और नदी के मुहाने से 25 किलोमीटर दूर, जहाँ यह खंभात की खाड़ी में मिलती है, प्रस्तावित है ।
जलाशय का मीठा पानी भरुच, अंकलेश्वर और दाहेज की आवासीय और औद्योगिक जल आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
यह परियोजना वृहद कल्पसर परियोजना (Kalpasar Project) का हिस्सा है, जिसमें भरूच और भावनगर जिलों के बीच खंभात की खाड़ी में 30 किलोमीटर का बांध का निर्माण होना है।
मछुआरे, विशेष रूप से हिलसा मछली पकड़ने वाले इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं।
समुद्री मछली हिलसा आमतौर पर जुलाई और अगस्त के मानसून के महीनों के दौरान समुद्र से पलायन करती हुई भरूच के पास नर्मदा मुहाना के खारे पानी में आ जाती है और नवंबर तक ऐसा करती रहती है। बैराज के बन जाने के बाद, उनकी प्राकृतिक प्रविष्टि अवरुद्ध होने की आशंका है।
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